नारी डेस्क: हिंदू धर्म की कुछ परंपराओं में, महिलाओं को पीरियड्स के दौरान धार्मिक कार्यों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह माना जाता है कि इस समय महिला का शरीर शुद्धिकरण की प्रक्रिया में होता है, इसलिए धार्मिक कार्यों में भाग न लेने को कहा जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि पीरियड्स के दौरान करवा चौथ व्रत करना चाहिए या नहीं और इसको लेकर क्या नियम हैं। चलिए जानते हैं इस सवाल का जवाब
रख सकते हैं करवा चौथ का व्रत
शास्त्रों में व्रत करने पर कोई रोक नहीं है, चाहे आप मासिक धर्म में हों। आप करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं, लेकिन भगवान की मूर्ति, पूजा सामग्री या धार्मिक ग्रंथों को छूने से बचें, साथ ही करवा चौथ की कथा को किसी दूसरे व्यक्ति से सुनें, खुद कथा की पुस्तक को ना छुएं। इसके अलावा आप मानसिक रूप से करवा माता की पूजा और भक्ति में लीन रह सकती हैं। यह नियम सिर्फ करवा चौथ ही नहीं, बल्कि अन्य विशेष व्रतों जैसे सोलह सोमवार, एकादशी आदि के लिए भी लागू होता है।
किसी ओर से करवाएं पूजा
महिलाएं पूजा के समय दूर बैठकर किसी दूसरी सुहागन महिला से पूजा करवा सकती हैं लेकिन स्वयं पूजा ना करें। अगर कोई महिला नहीं है तो आपके पति भी नियमों का पालन करते हुए करवा चौथ की पूजा कर सकते हैं। ऐसा करने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होगा। वहीं जब चांद निकल आए तो आप चंद्रमा को अर्घ्य दे सकती हैं और चांद की छलनी से दर्शन कर निर्जला व्रत खोल सकती हैं।
ध्यान रखने योग्य बातें
अगर आप व्रत रखती हैं, तो ध्यान और पूजा के समय अधिकतर ध्यान भगवान की भक्ति पर केंद्रित करें, न कि शारीरिक स्थिति पर। संवेदनशीलता का ख्याल रखें हर महिला का शरीर अलग होता है। कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान व्रत रखने में कोई दिक्कत नहीं होती, जबकि कुछ महिलाओं के लिए यह कठिन हो सकता है। इसलिए अपने शरीर की जरूरतों के अनुसार निर्णय लें।अगर व्रत रखना आपके लिए असहज हो, तो आप पूजा और भक्ति में भाग लेते हुए सामान्य भोजन ले सकती हैं और भगवान से अपनी आस्था प्रकट कर सकती हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से नियम
आजकल कई धार्मिक विचारधाराओं में पीरियड्स के दौरान महिलाओं के व्रत रखने या धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने पर कोई विशेष निषेध नहीं है। यह पूरी तरह से व्यक्तिगत और पारिवारिक विश्वास पर निर्भर करता है। पीरियड्स के दौरान शरीर में कमजोरी, थकावट, पेट दर्द और अन्य लक्षण हो सकते हैं। व्रत रखते समय आपको अपनी शारीरिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए। अगर आपको बहुत कमजोरी महसूस हो या बहुत ज्यादा दर्द हो, तो व्रत रखना आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हो सकता।