कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। भारत देश की सभी बहनें इस दिन का बेसब्री से इंतजार करती हैं। रक्षाबंधन की तरह ही ये पर्व हर भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है। यह गोवर्धन पूजा के अगले दिन मनाए जाने वाला त्यौहार है। भैया दूज के इस पर्व को यम द्वितीया,भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है। हर साल दिवाली के दो दिन बाद मनाए जाने वाले इस त्यौहार पर बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं, सलामती की कामना करती हैं, साथ ही उनका तिलक करती हैं। कहा जाता है कि भाई दूज के दिन भाई को तिलक लगाने से भाई को लंबी उम्र के साथ सुख-संपत्ति का भी आशीर्वाद मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, बहनों को भाई का तिलक करते समय शुभ मुहूर्त के अलावा कुछ अन्य नियमों का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में-
तिलक लगाते समय इस मंत्र का करें जाप
"गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले फलें!"
इन बातों का रखें खास ध्यान
भाई दूज के दिन बहन भाई को रोली का तिलक लगाती हैं। वास्तु के मुताबिक तिलक करते समय भाई का मूंह उत्तर या फिर पश्चिम दिशा में होना चाहिए और बहन का मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए। साथ ही भाई दूज पर बहन को भाई का तिलक करने से पहले कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए।
भाई दूज पर ऐसे करें तिलक
सबसे पहले आटे से चौंक बनाए, फिर उसके बाद चौंक पर लकड़ी का पाटा रखकर उस पर बाई को बैठने के लिए निवेदन करें, ध्यान रहे कि भाई का चेहरा पूर्व दिशा की ओर ही हो। फिर भाई के मस्तिष्क पर तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई के हाथ में कलावा बांधें। इसके बाद दीपक जलाकर भाई की आरती करें और लंबी उम्र की कामना करें।
बहन-भाई न करें ये गलतियां
भाई दूज के दिन बहन-भाई को आपस में बहस या झगड़ा नहीं करना चाहिए।
बहन-भाई को इस दिन भूलकर भी एक दुसरे से झूठ नहीं बोलना चाहिए।
भाई को तिलक लगाते समय बहनें इस दिन भूलकर भी काले वस्त्र धारण न करें।
बहन को भाई से मिले उपहार का निरादर नहीं करना चाहिए।
भाई दूज पर बहन को भाई का तिलक करने से पहले कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।