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Nari

हर वूमन में होती है सुपर वूमन

  • Updated: 15 Mar, 2014 07:47 AM
हर वूमन में होती है सुपर वूमन

‘‘वक्त बदला तो बदल गई हर तस्वीर,
सोच लिया कि बदलेगी अब तकदीर।
दहलीज लांघ कर कदम जो चल पड़े,
शुरू हो गए वहीं से कामयाबी के सिलसिले’’


अपने सपनों में वास्तविकता के रंग और हौसलों में उड़ान भरने के लिए नारी ने जब कदम बढ़ाए तो बेशक रास्ते काफी मुश्किलों भरे थे लेकिन उसने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर समाज के ऐसे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई जहां केवल पुरुषों का एकाधिकार था। उसके मजबूत इरादों से उपलब्धियां बढ़ती गईं और इतिहास बनते गए।

आज बेशक हम बदलते वक्त की बहुत सी नकारात्मक बातें करते हैं परंतु इसी बदलते लाइफस्टाइल ने ही नारी को अपने तरीके से जीने की आजादी भी दी है। महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव आए हैं और उन्हें कई सुविधाएं भी मिली हैं।

मल्टी-टास्किंग का है जमाना
 आज शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों और छोटे कस्बों की महिलाओं में भी सकारात्मक बदलाव आए हैं। वे घर-बाहर के कार्यों के अलावा सोशल वर्क और राजनीति में भी दिलचस्पी लेने लगी हैं। आज की बदली भूमिका ने जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है, वहीं उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं। वे मल्टी-टास्किंग हो गई हैं और अपनी इस खूबी को बढ़ाने के अवसर भी उन्हें मिल रहे हैं। इसी परिवर्तन ने उनके हाथों में नेतृत्व की कमान थमा दी है जिसके कारण वे ऐसी दुनिया में कदम रख चुकी हैं जहां उनके पास नाम, पैसा और आजादी है। आज जॉब मार्कीट में महिलाओं के लिए अवसर बढ़ गए हैं।

पुरुषों के क्षेत्र में महिलाओं का वर्चस्व
 जब कोई महिला पुरुष अधिकार वाले किसी क्षेत्र में काम करने के बारे में सोचती है तो उसके सामने दो तरह की मुश्किलें आती हैं। पहली यह कि उसे कई तरह की सामाजिक व पारिवारिक समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है और दूसरे ऐसे काम करना जिन्हें पुरुषों के मुकाबले स्त्री का कोमल शरीर कर नहीं पाता लेकिन फिर भी उसने इन मुश्किलों पर विजय पा ली है। पुरुष प्रधान क्षेत्र में नारी की इच्छाशक्ति और खुद पर विश्वास के ज’बे ने ही उसे एक अलग पहचान दी है।

वूमन नहीं, सुपर वूमन

 मेहनती, जिम्मेदार, लीडरशिप  क्वालिटी और टाइम मैनेजमैंट जैसे तमाम गुणों के कारण आज नारी सुपर वूमन के रूप में जानी जाती है। कार्यक्षेत्र के साथ-साथ वह एक सुपर मॉम और परफैक्ट वाइफ का रोल भी बड़ी अच्छी तरह निभा रही है।

अपने अधिकारों के प्रति जागरुक

 वैसे तो पुरुषों और महिलाओं को सरकार द्वारा समान अधिकार दिए गए हैं लेकिन केवल महिलाओं को कुछ कानूनी अधिकार दिए गए हैं, जिनके बारे में जानकर वे काफी जागरूक हो गई हैं। किसी भी परिस्थिति में वे इनका फायदा उठा सकती हैं जैसे  पिता की सम्पत्ति में बेटे के बराबर हिस्सेदारी, अपनी शादी में मिले उपहार उसी की सम्पत्ति, किसी भी महिला की इच्छा के विरुद्ध उससे शारीरिक छेड़छाड़, उसकी इच्छा के विरुद्ध गर्भपात, बच्चे के पिता के स्थान पर मां का नाम और महिला अपने नाम से सम्पत्ति की खरीद कर सकती है या रजिस्ट्री करवा सकती है। ये सभी अधिकार उसे सुरक्षित होने व समाज में उसका सम्माननीय स्थान होने का अहसास
कराते हैं।

                                                                                                                                                                  —सरिता शर्मा

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