हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का भी काफी महत्व बताया गया है। साल में कुल 24 एकादशी आती है और महीने में दो एकादशी तिथि मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति पूरे दिन व्रत रखकर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान से करता है उसकी सब मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अब मई के महीने में वरुथिनी एकादशी धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। इस दौरान कई शुभ योग भी बन रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं यह एकादशी किस तिथि में है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
शुभ मुहूर्त और योग
वैदिक पंचागों की मानें तो एकादशी तिथि इस बार 3 मई शुक्रवार को रात 11:23 मिनट पर शुरु होगी। वहीं इस तिथि का समापन 4 मई शनिवार रात 08:37 पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, एकादशी 4 मई को मनाई जाएगी और एकादशी तिथि का पारण 5 मई सुबह 05:36 से शुरु होकर 08:16 पर खत्म होगी। वरुथिनी एकादशी पर इस बार कई योग हो रहे हैं। त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग बन रहा है। ज्योतिष में यह तीनों योग बहुत ही शुभ माने जाते हैं। वहीं त्रिपुष्कर और इंद्र योग में पूजा करने से दौगुणा फल मिलता है।
एकादशी का धार्मिक महत्व
वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा व्यक्ति पर होती है। इसके अलावा उन्हें सुख-समृद्धि भी मिलती है। इस दिन व्रत अन्नदान, कन्यादान दोनों ही दान का शुभ फल मिलता है। इस एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा अर्चना की जाती है।
ऐसे करें पूजा
एकादशी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद देवी-देवताओं को स्नान करवाने के बाद साफ कपड़े पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्जवलित करें। फिर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी जरुर करें। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल अर्पित करें।