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पापमोचनी एकादशी 2025: नवरात्रि से पहले जानें इस एकादशी का महत्व, व्रत करनें से मिलेगा मोक्ष

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 18 Mar, 2025 09:49 AM
पापमोचनी एकादशी 2025: नवरात्रि से पहले जानें इस एकादशी का महत्व, व्रत करनें से मिलेगा मोक्ष

नारी डेस्क: पापमोचनी एकादशी 2025 का पर्व चैत्र माह में पड़ता है, और यह संवत्सर की आखिरी एकादशी मानी जाती है। यह एकादशी नवरात्रि से पहले होती है और इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है। इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इसके प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस एकादशी के बारे में पूरी जानकारी।

पापमोचनी एकादशी 2025 की तिथि और समय

पापमोचनी एकादशी की तिथि: मंगलवार, 25 मार्च 2025

एकादशी तिथि का आरंभ: मंगलवार, 25 मार्च 2025, सुबह 05:05 बजे

एकादशी तिथि का समाप्ति: बुधवार, 26 मार्च 2025, सुबह 03:45 बजे

पूजा का समय: मंगलवार, 25 मार्च 2025, सुबह 09:22 से दोपहर 01:57 बजे तक

पारण का समय: बुधवार, 26 मार्च 2025, सुबह 09:01 बजे

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पापमोचनी एकादशी का महत्व

पापमोचनी एकादशी का नाम ही इसके महत्व को स्पष्ट करता है। "पापमोचनी" का मतलब है पापों का नाश करना। शास्त्रों के अनुसार, इस एकादशी के व्रत और पूजा से व्यक्ति के द्वारा किए गए सारे पाप, चाहे वह जानबूझकर किए गए हों या अनजाने में, समाप्त हो जाते हैं और उसे बैकुंठ में स्थान मिलता है।

इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के चार हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल होते हैं। साथ ही, इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह पूजा दोनों देवताओं के आशीर्वाद को प्राप्त करने का मार्ग खोलती है।

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पापमोचनी एकादशी के पूजा के फायदे

पापमोचनी एकादशी के व्रत और पूजा का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ, श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करने से व्यक्ति को अनगिनत पुण्य मिलते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत को करने से वही पुण्यफल प्राप्त होता है, जैसा हजारों वर्षों तक किए गए कठिन तपस्या से मिलता है।

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पापमोचनी एकादशी का ऐतिहासिक महत्व

पापमोचनी एकादशी का एक बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक किस्सा भी है। इसे लेकर कहा जाता है कि च्यवन ऋषि के तपस्वी पुत्र मेधावी ने एक बार गलती से पाप कर दिए थे। जब उनकी तपस्या और तेज़ समाप्त होने लगे, तो उनके पिता ने उन्हें पापमोचनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। इस व्रत के प्रभाव से उनके सभी पाप नष्ट हो गए और वह फिर से धर्म, कर्म, सद्गुण और तपस्या में लीन हो गए। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि पापमोचनी एकादशी के व्रत से न केवल पाप नष्ट होते हैं, बल्कि जीवन में पुण्य और समृद्धि भी आती है।

पापमोचनी एकादशी का पर्व एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है, जो न केवल पापों के नाश के लिए है, बल्कि यह हमें पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी दिखाता है। इस दिन की पूजा और व्रत से हम अपने सभी पापों को नष्ट करके भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति पा सकते हैं।

तो, इस पापमोचनी एकादशी को विशेष रूप से पूजा करें और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं।

 

 

 

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