भोलेनाथ को समर्पित सावन का पवित्र मास चल रहा है। इस दौरान लोग शिव व्रत व पूजा करने के साथ मंदिरों में दर्शन करने भी जाते हैं। भगवान भोलेनाथ के दुनियाभर में बहुत से रहस्यमयी मंदिर है। मगर आज हम आपको उनके एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते है जिस में स्थापित शिवलिंग दो भागों में बंट कर घटता और बढ़ता हैं।
कहां हैं मंदिर?
यह मंदिर हिमाचल के कांगड़ा में स्थित है। इस मंदिर का नाम भगवान शिव का काठगढ़ महादेव मंदिर हैं। इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर स्थापित शिवलिंग अर्धनारीश्वर यानि शिव- पार्वती के रूप में बना है। ऐसे में यह शिवलिंग माता पर्वती और महादेव के रूप में दो भागों में बंटे हुए है। इसके बीच की दूरियां अपने आप ही घटती व बढ़ती रहती हैं।
दूरियां घटने- बढ़ने का कारण
यहां आपको बता दें, पूरी दुनियां यह मात्र एक ऐसा मंदिर है जहां पर स्थापित शिवलिंग दो भाग है। इसका एक भाग मां पार्वती और भगवान शिव का प्रतीक है। इनके बीच में दूरियां आने का कारण ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन को माना जाता है। इसी वजह से शिवलिंग घटता-बढ़ता रहता है। जहं गर्मियों में यह दो भागों में बंट जाता है वहीं शीत ऋतु में दोबारा अपने रूप में वापिस आ जाता है।
किस ने करवाया था निर्माण?
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सिकंदर ने करवाया था। उसने इस शिवलिंग से प्रभावित होकर एक टीले पर मंदिर बनवाने का फैसला लिया। फिर इसे बनवाने के लिए वहां की धरती को समतल करवाकर मंदिर तैयार करवाया।
शिव- पार्वती के अर्धनारीश्वर का स्वरूप
यह शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के अर्धनारीश्वर स्वरूप का प्रतीक है। कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन यह शिवलिंग आपस में जुड़कर एक भाग में हो जाते हैं। अगर बात शिवलिंग के रंग की करें तो यह काले-भूरे रंग में पाया जाता है। महादेव के रूप में माने जाने वाले शिवलिंग लगभग 7-8 फीट और पार्वती के रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 5-6 फीट ऊंची है।
इस दिन लगता है खास मेला
भगवान शिव-पार्वती के प्रिय दिन शिवरात्रि में यहां भक्तों द्वारा खासतौर पर मेला लगाया जाता है। लोग दूर-दूर से शिव और माता गौरा के इस अर्द्धनारीश्वर स्वरुप के मेल को देखने और उनके दर्शन पाने के लिए आते है। यह मेला लगभग 3 तीनों तक चलता है। सावन के महीने में भी यहां भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है।