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देश की पहली आदिवासी लड़की जिसने पायलट बनकर रचा इतिहास

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 10 Sep, 2019 12:54 PM
देश की पहली आदिवासी लड़की जिसने पायलट बनकर रचा इतिहास

माओवादी व आदिवासी इलाकों में सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधा व कानून पूरी तरह से लागू नही होता हैं। लोगों को जीने के लिए पूरी सुविधाएं प्राप्त नही होती है। ऐसी मुश्किलों को साइड पर रखते  हुए अनुप्रिया ने केवल आगे आकर अपने सपनों को पूरा कर रही है बल्कि पायलट बन कर इतिहास रच दिया हैं। आज वह आसमान की ऊचाईयों को छू रही हैं। आज अनुप्रिया देश की पहली महिला पायलट है जो माओवादी प्रभावित मलकानगिरी जिले से हैं।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ ज्वाइंन की एकेडमी 

 पुलिस कांस्टेबल मरीनियस व जलज याशमीन लाकड़ा की  27 साल की बेटी अनुप्रिया लाकड़ा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कर 2012 में एविएशन एकेमडी ज्वाइंन की थी। अनु ने मलकानगिरी के कॉन्वेंट स्कूल व सेमिलिगुडा के सेकेंडरी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। लगातार 7 साल कड़ी मेहनत करने के बाद अनु आज पायलट बन पाई हैं। अनु के सपनों को पूरा करने के लिए पिता के पास पैसे नही थे ऐसे में उन्होंने अपने रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर बेटी की शिक्षा को पूरा करवाया। इतना ही नही उन्होंने कभी भी उसे बड़े सपने देखने से मना नही किया। 

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ज्वाइंन की प्राइवेट एयरलाइन

अनुप्रिया ने इस समय प्राइवेट एयरलाइन ज्वाइन कर ली हैं। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनाटक ने उन्हें उनकी कामयाबी पर शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि अनु बाकी देेशवासियों के लिए एक प्रेरणा हैं। ट्वीट में उन्होंने कहा कि- अनुप्रिया के कड़े प्रयासों से यह कामयाबी हासिल की हैं। अनु इस महीने के अंतिम दिनों में इंडिगो एयरलाइंस में सह-पायलट के रूप में शामिल होंगी।

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दहशत व डर से नही उठाते है वहां कोई आवाज 

अनु ने उस इलाके में से आगे आकर न केवल अपनी मंजिल हासिल की है बल्कि लोगों को आवाज उठानी भी सिखाई हैं। माओवाद से प्रभावित इलाकों में विकास कार्य ना के बराबर होते है। इतना ही नही बड़े- बड़े बिजनेसमैन भी यहां पर इंवेस्ट करने से डरते हैं। जिस तरह पर सही ढंग से  सरकारी स्कीमें लागू न होने पर लोग डर व दहशत के कारण अपने हक भी नही मांग पाते है वहां की लड़की ने लोगों को अपना हक हासिल करना सिखाया। इन जगहों पर महिलाओं के लिए पैरों पर खड़ा होना तो दूर की बात शिक्षा हासिल करना भी मुश्किल होता हैं। वहां पर लड़कियों को आगे बढ़ कर पढ़ना सिखाया। 

 

 

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