महिलाओं को लेकर हमारे समाज की सोच आज भी यही है कि वह सिर्फ घर व बच्चों को ही संभाल सकती है लेकिन अगर महिलाओं की उपलब्धियों को देखा जाए तो आज उन्होंने मर्दों से भी ज्यादा नाम कमाया है। फिर बात चाहे इंजीनियरिंग, डॉक्टरी की हो या खेतों में जाकर खेतीबाड़ी करने की। जहां इस समय सभी किसान आंदोलन पर बैठे हैं वहीं हरियाणा की रहने वाली अमरजीत कौर इन दिनों काफी चर्चा में बनी हुई है।
पिता हुए बीमार तो खुद उठाई जिम्मेदारी
दरअसल, हरियाणा, अंबाला के अधोई कस्बा में रहने वाली 29 साल की अमरजीत कौर खेती कर अपने परिवार की जिम्मेदारी और खर्च उठा रही है। जब वह 18 साल की थी तो उनके पिता बीमार हो गए और बिस्तर पकड़ लिया। उनका परिवार खेती पर ही निर्भर था इसलिए अमरजीत ने खेत व परिवार की जिम्मेदारी संभालने का निर्णय लिया।
खुद करती हैं फसल बोने से लेकर बेचने का काम
वह सुबह 5 बजे उठकर खेतों में काम करने चली जाती है और पशुओं का चारा डालती। इसके बाद वह पूरा दिन खेतों में काम करते हुए गुजार देती हैं। फसल बोने से लेकर कटाई तक का सारा काम वह खुद संभालती हैं। यही नहीं, फसल कटने के बाद वह उसे खुद मंडी ले जाकर बेचती भी हैं। यही नहीं, गांव के लोग अमरजीत से पूछने आते हैं कि कब कौन-सी फसल उगानी है और कौन-सी खाद का इस्तेमाल किया जाए।
अमरजीत बताती हैं, ‘खेतीबाड़ी की मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी, पिता जी को खेतों में जितना काम करते देखा बस उतना ही जानती थी। वह मेरे लिए मुश्किल दौर था लेकिन कुछ लोग मेरी मदद के लिए आगे आए। शुरूआत में मैंने परिवारिक के अलावा ठेके पर ली हुए जमीन पर खेती की। बिना किसी मजदूर की मदद लिए मैं करीब 15 एकड़ के खेत पर अकेले काम करती थी। फिर वह खाद डालना हो या खेतों की जुताई करना।'
ऑर्गेनिक खेती भी करती हैं अमरजीत
अब उन्होंने ऑर्गेनिक खेती भी शुरू कर दी है। उनकी मेहनत और लगन देखकर गांव के लोग उन्हें 'लेडी किसान' कहकर पुकारते हैं। आज अमरजीत मौसम के अनुसार खेतों में गन्ने, गेंहू, सब्जी, धान, मक्के की फसलें उगाती हैं। यही नहीं, वह खुद इसे मंडी तक भी पहुंचाती हैं।
खेती के साथ पढ़ाई रखी जारी
बता दें कि जब अमरजीत के पिता बीमार हुए तो वह पढ़ाई कर रही थी लेकिन उन्होंने खेती के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा। उन्होंने पंजाबी में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के साथ वह घर का सारा काम करती हैं और ट्रैक्टर भी चलाती थी। यह अमरजीत की मेहनत का ही नतीजा है कि आज उनका भाई भी पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी कर रहा है।
अमेरिका के डेलिगेशन ने भी तारीफ
अमरजीत के इस सहारनीय काम को देखते हुए यूनाइटेड स्टेट अमेरिका का एक डेलिगेशन ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने ना सिर्फ अमरजीत के काम की तरीफ की बल्कि उनसे खेतों में डाले जाने वाले बीज, फसल, पेस्टिसाइड्स, मंडीकरण के बारे में जानकारी भी ली। गांव के अलावा आस-पास के लोग भी अमरजीत के पास मशवीरा लेने आते हैं।