जिस दिन का भक्त साल भर से इंतजार कर रहे हैं वह जल्द ही आने वाला है। 31 अगस्त से दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत होने जा रही है, जिसकी तैयारियां जोर- शाेर से चल रही है। यह पर्व गणेश चतुर्थी से आरंभ होता है और भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि तक मनाया जाता है। भगवान गणेश को मनोकामना पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है। इसके साथ ही उनके चमत्कारों की कई कहानियां भी पुराणों में प्रसिद्ध हैं। ऐसे में आज हम आपको गणेश जी के कुछ चमत्कारी मंदिरों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
कनिपक्कम गणपति मंदिर
सबसे पहले बात करते हैं कनिपक्कम गणपति मंदिर की जो आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे हुआ है। कहा जाता है कि आंध्र प्रदेश चित्तूर में स्थित इस मंदिर में विनायक की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। विनायक के एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेंट किया था, लेकिन प्रतिमा का आकार बढ़ने की वजह से अब उसे पहनाना मुश्किल हो गया है। मान्यता यह भी है कि जो इस मंदिर में आता है उसके सारे पाप धूल जाते हैं।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर
बप्पा का मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान के जयपुर शहर में स्थापित है। मंदिर की गणेश प्रतिमा 1761 में जयपुर के राजा माधौसिंह की रानी के पैतृक गांव मावलीसे लाई गई थी। इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है।गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा और दीपावली पर यहां विशेष उत्सव होते हैं और इस दौरान लोग अपने नए वाहन लेकर यहां आते हैं और पूजन करवाते हैं। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी के इस मंदिर वाहनों की पूजा कराने पर दुर्घटना नहीं होती है
दगड़ू गणेश मंदिर
अब बात करते हैं महाराष्ट्र के पुणे के दगड़ू गणेश मंदिर की। इस मंदिर के निर्माण के संबंध में एक कहानी है कि जब 18वीं शताब्दी में प्लेग महामारी फैली थी, उस समय यहां के एक व्यापारी दगड़ू सेठ हलवाई के बेटे की मौत इस बीमारी की वजह से हो गई थी। इस कारण दगड़ू सेठ और उनकी पत्नी दुःखी रहने लगे थे। तब अपने गुरु माधवनाथ महाराज के कहने पर उन्होंने यहां गणेश मंदिर बनवाया। पहले इसका नाम गणेश मंदिर ही था, लेकिन बाद ये दगड़ू सेठ हलवाई के नाम से ही प्रसिद्ध हो गया। कहते हैं बप्पा के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। यहां बप्पा 30 दिनों में भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
गढ़ गणेश मंदिर
वैसे तो दुनियाभर के मंदिरों में बप्पा की सूंड वाली प्रतिमा स्थापित है, लेकिन राजस्थान के जयपुर शहर में अरावली की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित बप्पा का एक अनोखा मंदिर है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर गणेश की इंसानी रूप यानि बिना सूंड वाली प्रतिमा की पूजा होती है। इस पावन मंदिर का नाम गढ़ गणेश मंदिर है। माना जाता है कि मंदिर की स्थापना जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाई थी।
मधुर महागणपति मंदिर
केरल की मधुरवाहिनी नदी के किनारे पर स्थित मधुर महागणपति मंदिर का इतिहास 10वीं शताब्दी का माना जाता है। उस समय यहां सिर्फ शिवजी का मंदिर था। मान्यता है कि जब ये शिवजी का मंदिर था, तब यहां पुजारी के साथ उनका बेटा भी रहता था। एक दिन पुजारी के बेटे ने मंदिर की दीवार पर गणेशजी का चित्र बना दिया। कुछ समय बाद चित्र का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगा और चित्र मूर्ति जैसा दिखने लगा। दीवार पर चमत्कारी रूप से उभरी इस प्रतिमा को देखने के लिए लोग आने लगे। दीवार पर उभरी प्रतिमा की वजह से ये शिव मंदिर की जगह भगवान गणेश का मंदिर बन गया।