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अचानक फिल्मी दुनिया छोड़ने वाली 'आशिकी गर्ल' आज यहां जी रही हैं गुमनामी की जिंदगी

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 07 Aug, 2019 11:13 AM
अचानक फिल्मी दुनिया छोड़ने वाली 'आशिकी गर्ल' आज यहां जी रही हैं गुमनामी की जिंदगी

मायानगरी एक ऐसी नगरी है जहां आए दिन नए सितारे जन्म लेते हैं तो वहीं कुछ गुमनामी के अंधेरे में खो भी जाते हैं। यह कोई नहीं जानता कब किसी मोड़ पर, किस का सितारा चमक जाए और किसका बना बनाया करियर डूब जाए...। ऐसी बहुत सारी उदाहरणें आपको बॉलीवुड में मिल जाएंगी। अपने समय में सुपरहिट होने और अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ने के बावजूद बहुत से स्टार्स इंडस्ट्री में लंबा समय से टिक नहीं पाएं। उन्हीं में से एक नाम है अनु अग्रवाल का...

 

भले ही आज लोग यह चेहरा भूल गए हों लेकिन 1990 में आई फ़िल्म ‘आशिकी’ में अनु ने लोगों को प्यार करने का एक अनोखा ही अंदाज सिखाया था। इस फिल्म के गाने इतने हिट हुए थे कि आज भी लोग इसे सुनना पसंद करते हैं। अनु के मासूम चेहरे और जबरदस्त एक्टिंग ने लोगों को अपना दीवाना बना दिया था हालांकि जो शोहरत अनु को इस फिल्म से मिली वो उन्हें बाकी फिल्मों से नहीं मिल पाई। उनकी चर्चा उस समय भी हुई थी जब उन्होंने एक शॉर्ट फिल्म बोल्ड सीन्स दिए थे लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया जो उनकी जिदंगी को पूरी तरह बदल गया आज वह बिलकुल बदल गई हैं और एक बार में उन्हें आप पहचान भी नहीं सकते।

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चलिए आज हम आपको अनु अग्रवाल के जिंदगी के बारे में बताते हैं और साथ ही बताते हैं कि आज वह कहां और क्या कर रही हैं।

11 जनवरी 1969 को दिल्ली में पैदा हुई अनु अग्रवाल उस समय दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोशलसाइंस की पढ़ाई कर रही थीं, जब महेश भट्ट ने उन्हें अपनी आने वाली म्यूजिकल फ़िल्म ‘आशिकी’ में पहला ब्रेक दिया हालांकि इससे पहले वह दूरदर्शन के एक टीवी सीरियल में नज़र आ चुकी थीं। महज 21 साल की उम्र में फिल्मी नगरी में कदम रखने वाली अनु रातों-रात एक बड़ी स्टार बन गईं थी। उन्हें लोग आशिकी गर्ल के नाम से जानने लगे लेकिन उसके बाद आई उनकी फिल्में पर्दे पर ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाईं। शायद इसी लिए वह 1996 में आते-आते फिल्मी नगरी से गायब हो गई। उन्होंने अपना रुख योग और अध्यात्म की तरफ़ कर लिया। लेकिन 1999 में हुए एक बड़े हादसे ने उनकी जिंदगी ही बदल दी। पार्टी से वापिसी करते हुए अनु एक सड़क हादसे का शिकार हो गई थी जिसके चलते वह 29 दिनों तक कोमा में रहीं और जब वह होश में आई तो मालूम पड़ा वह अपनी याद्दाश्त भी खो चुकी हैं और इस हादसे ने उन्हें चलने फिरने में भी अक्षम कर दिया था।

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3 साल के लंबे इलाज के बाद वह दोबारा यादों को जानने में सफल हुई और जब वह सामान्य हुईं तो उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान करके संन्यास की राह चुन ली। साल 2015 में वह अपनी आत्‍मकथा 'अनयूजवल: मेमोइर ऑफ़ ए गर्ल हू केम बैक फ्रॉम डेड' को लेकर चर्चा में रहीं। इस किताब में उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में बताया जो कई टुकड़ों में बंट गई थी लेकिन अनु ने हिम्मत ना हारते हुए उन टूकड़ों को इक्ट्ठा कर फिर से जोड़ा।

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फिलहाल वह बिहार और उत्तराखंड के कुछेक योग आश्रमों व स्कूल में बच्चों को योग सिखाती हैं, साथ ही सोशल वर्कर भी है।  वह मुंबई आती-जाती रहती हैं लेकिन ग्लैमर की दुनिया से वो पूरी तरह दूर हो गई हैं।

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अनु अग्रवाल की यह आत्मकथा बेहद प्ररेणादायक है जिन्होंने हिम्मत न हारते हुए बिखरी जिंदगी को फिर से संवारा। आपको हमारा यह पैकेज कैसा लगा इस बारे में हमें जरूर बताएं और साथ ही में सांझा करें अपने सुझाव।

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