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वायु प्रदूषण शरीर के साथ दिमाग पर भी डालता है असर, साफ हवा रोक सकती है सुसाइड के मामले

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 01 Mar, 2024 06:41 PM
वायु प्रदूषण शरीर के साथ दिमाग पर भी डालता है असर, साफ हवा रोक सकती है सुसाइड के मामले

चीन में किए गए एक अध्ययन से यह बात सामने आयी है कि वायु प्रदूषण का स्तर कम होने से आत्महत्या की दर में कमी आ सकती है। कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के अनुसंधानकर्ताओं का अनुमान है कि वायु प्रदूषण को कम करने के चीन के प्रयासों ने केवल पांच वर्षों में देश में आत्महत्या के कारण होने वाली 46,000 मौतों को रोका है। 

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वायु प्रदूषण कई बीमारियों को देता है न्यौता

अध्ययन रिपोर्ट ‘नेचर सस्टेनेबिलिटी' पत्रिका में प्रकाशित हुई है। इसमें कहा गया है कि वायु गुणवत्ता मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में शामिल है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों को अकसर एक शारीरिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाता है जो अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। 


आत्महत्या के दर में आई कमी

अनुसंधान टीम ने पूर्व में भारत में आत्महत्या की दर पर तापमान के प्रभाव का अध्ययन किया था जिसमें पाया गया कि अत्यधिक गर्मी ऐसी घटनाओं को बढ़ाती है। टीम इस तथ्य को जानने को लेकर उत्सुक थी कि चीन में आत्महत्या की दर दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से कम हुई है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि साल 2000 में देश की प्रति व्यक्ति आत्महत्या दर वैश्विक औसत से अधिक थी लेकिन दो दशक बाद यह उस औसत से नीचे आ गई है।

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मानसिक बीमारी का कारण बनता है  वायु प्रदूषण 

माना गया है कि वायु प्रदूषण का बढ़ा हुआ स्तर मानसिक बीमारी का कारण बन सकता है क्योंकि ये प्रदूषक तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को बढ़ाते हैं। यह आगे मस्तिष्क में एक अन्य रसायन के स्तर को प्रभावित करता है जिसे डोपामाइन या हैप्पी हार्मोन के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि चिंता या अवसाद के लक्षणों से पीड़ित लोग वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इसका मतलब यह है कि चिंता या अवसाद से पीड़ित बिना किसी मानसिक बीमारी वाले शख्स की तुलना में वायु प्रदूषकों से अधिक प्रभावित होता है। 

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 वायु प्रदूषण के कारण होता है टीनएज डिप्रेशन 

 वायु प्रदूषण के कारण टीनएज डिप्रेशन ज्यादा होता है । चिंता या अवसाद के लक्षणों से पीड़ित बच्चे वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। उदास किशोरों के शरीर पहले से ही कमजोर होते हैं क्योंकि उनकी जीने की इच्छा खत्म हो जाती है। वे संतुलित आहार नहीं लेते हैं, अपने शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त पानी पीते हैं, और लगातार आत्मघाती विचार रखते हैं।
 

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