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थायराइड गर्भावस्था में शिशु और मां दोनों के लिए है खतरनाक, जानिए कैसे

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 23 May, 2018 04:59 PM
थायराइड गर्भावस्था में शिशु और मां दोनों के लिए है खतरनाक, जानिए कैसे

थायराइड इन हिंदी (Thyroid in Hindi): हर महिला को सपना होता है मां बनना। इसके लिए महिलाओं को प्रेगनेंसी में छोटी-मोटी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लेकिन बच्चे को जन्म देने के बाद वह इन तकलीफों को भूल जाती है। अगर आप चाहती है आपको प्रेगनेंसी के दौरान कोई बड़ी समस्या न हो तो गर्भधारण करने से पहले अपने बॉडी के कुछ टेस्ट जरूर करवा लें। उनमें से एक टेस्ट है थायराइड। गर्भावस्था में थायराइड की समस्या बढ़ जाने पर मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। इसका ज्यादा खतरा प्रेगनेंसी के पहले 3 महीने होता है। गंभीर थायराइड यानी हाइपोथायरॉयड होने से गर्भपात की संभावना बहुत बढ़ जाती हैं। यहां तक कि भ्रूण की गर्भ में ही मौत भी हो सकती है। 
इस बीमारी के होने पर बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर बहुत असर पड़ता है। वह असामान्य रूप से भी पैदा हो सकता है। थायराइड पीड़ित प्रेगनेंसी महिलाओं के बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की तरह नहीं होता बल्कि धीमी गति से होता है। 

थायराइड के लक्षण (Thyroid Symptoms) 

वजन का तेजी से बढ़ना और कम होना।
ज्यादा थकान रहना और नींद न आना।
मांसपेशियों का कमजोर होना और कोलेस्ट्रॉल बढ़ना।
आंखो और चेहरे पर सूजन रहना।
दिल का सहीं ढंग से काम न करना।
सिर दर्द, गर्दन और जोड़ो मे दर्द रहना।.


थायराइड से बचाव

1. प्रैग्नेंसी में थायराइड की समस्या होने पर रोजाना आधा घंटा व्यायाम करें और साथ में डॉक्टरी इलाज करवाएं। अगर आप चाहती है थायराइड का बच्चे पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े तो डॉक्टर की सलाह से समय पर दवाओं का सेवन करें और समय-समय पर इसका टेस्ट करवाते रहे।

2. गर्भावस्‍था के दौरान थायरॉयड के इलाज के लिए दी जाने वाली डोज जरूरत के हिसाब से घटाई या बढ़ाई भी जा स‍कती हैं। आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान थायरॉयड के इलाज में दवाओं के डोज बढ़ा दिए जाते हैं लेकिन बच्चे के जन्म के बाद इसे जरूरत के हिसाब से कम कर दिया जाता है।

3. प्रेगनेंसी के दौरान पेट और पाचन क्रिया का सही रहना बहुत जरूरी है। जिन प्रेग्नेंट महिलाओं को थायराइड की समस्या होती है, उन्हें अपने भोजन में अधिक से अधिक फाइबर लेना चाहिए क्योंकि इससे कब्ज की समस्या नहीं होती। थायराइड होने पर कब्ज की समस्या ज्यादा होने लगती है।

4. बच्चे को जन्म के बाद तीसरे से पांचवे दिन के भीतर उसका भी थायराइड टेस्ट जरूर करवाएं। 

5. थायराइड की समस्या ज्यादा गंभीर होने पर अंतिम विकल्प के रूप में आयोडीन थेरेपी या सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है। 



ऐसा होना चाहिए डाइट प्लान
1. आयोडीन थायराइड कंट्रोल करने में काफी मददगार है। इसके लिए नैचुरल आयोडीन जैसे टमाटर, प्याज और लहसुन आदि का सेवन करें।

2. 3 से 4 लीटर पानी पीएं। इससे शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलने में मदद मिलेगी। इसके अलावा 1 से 2 गिलास जूस पीएं। सप्ताह में 1 बार नारियल पानी पीएं। 

3. अपनी डाइट में विटामिन ए से भरपूर हरी सब्जियों को शामिल करें। गाजर में भी  विटामिन ए काफी मात्रा में पाया जाता है। यह थायराइड को कंट्रोल करने मे मदद करता है। 

4. खाने में सेंधा या काला नमक प्रयोग करें। थायराइड में सफेद नमक से परहेज करें।

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