ई-सिगरेट्स के बाद युवाओं में दिनों दिन वेपिंग का क्रेज बढ़ रहा है। स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में खुद को कूल दिखने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इन हालातों को देखकर ऑस्ट्रेलिया ने मनोरंजक वेपिंग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है । विशेषज्ञों का मानना है कि "महामारी" के बीच एक बड़ी कार्रवाई के हिस्से के रूप में ऑस्ट्रेलिया सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
क्या होती है वैपिंग
वास्तव में यह भी एक प्रकार की ई सिगरेट ही होती है यह उतनी ही हानिकारक है जितनी बीड़ी, सिगरेट या कोई और तंबाकू उत्पाद। वैपिंग सिगरेट की तरह ही अंदर खींचा जाता है, मगर इसमें धुएं के बजाय कुछ लिक्विड कण होते हैं। निकोटीन और टेस्ट (ई-तरल) की धुंध को सांस के जरिए अंदर लेने के लिए एक छोटे हैंडहेल्ड डिवाइस (जैसे ई-सिगरेट, वेप पेन या मोड) का यूज किया जाता है। बैटरी की मदद से चार्ज होने वाले इस डिवाइस में लिक्वि होता है, जो इस्तेमाल के दौरान गर्म होकर हवा में उड़ता है। इसे बार बार चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें 8 से 10 सिगरेट के समान कश मौजूद होते हैं।
वैपिंग से क्या होता है नुकसान
एक्सपर्ट की मानें तो वेपिंग में पाया जाने वाला निकोटीन आपकी स्किन को जल्दी बूढ़ा बना सकता है। लिक्विड वैप में मौजूद निकोटीन कोलेजन को तोड़ सकता है, जो फाइन लाइन, रिंकल्स और ढीली स्किन का कारण बनता है। वक्त से पहले उम्र बढ़ने के साथ-साथ वेपिंग की वजह से स्किन रूखी भी हो जाती है और यह सब ई-सिगरेट में मौजूद केमिकल प्रोपलीन ग्लाइकोल की वजह से होता है। यह ना सिर्फ पीने वाले को बल्कि आसपास में मौजूद लोगों को भी नुकसान पहुंचाता हैद्ध
ऑस्ट्रेलिया सरकार का यह है उद्देश्य
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया सरकार का उद्देश्य सभी डिस्पोजेबल वैप्स पर प्रतिबंध लगाना है, इसका उद्देश्य धूम्रपान करने वालों को छोड़ने में मदद करने के लिए वैप्स की बिक्री को सीमित करना है। स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर ने कहा- "वैपिंग, व्यापक रूप से सिगरेट पीने के सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है और धूम्रपान छोड़ने में मदद करने के लिए उपयोगी होता है, इसमें एक तरल को गर्म करना शामिल होता है जिसमें निकोटीन होता है जिसे ई-सिगरेट कहा जाता है और इसे वाष्प में बदल दिया जाता है जिसे उपयोगकर्ता साँस लेते हैं "।
नई पीढ़ी को लेकर बड़ी चिंता
स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर का कहना है कि उत्पाद ऑस्ट्रेलिया में निकोटीन की लत की एक नई पीढ़ी तैयार कर रहे हैं। ई-सिगरेट के रूप में भी जाना जाता है, वैप्स एक तरल को गर्म करते हैं - आमतौर पर निकोटीन युक्त - इसे एक वाष्प में बदल देते हैं जिसे उपयोगकर्ता सांस लेते हैं। धूम्रपान करने वालों को छोड़ने में मदद करने के लिए उन्हें व्यापक रूप से एक उत्पाद के रूप में देखा जाता है। हाई स्कूलों में वैपिंग अब नंबर व्यवहारिक मुद्दा बन गया है।
वेपिंग से इन बीमारियों का बढ़ रहा खतरा
एक अध्यनन में यह बात सामने आई है कि 18-24 आयु वर्ग के लगभग 22% ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने कम से कम एक बार ई-सिगरेट या वापिंग डिवाइस का इस्तेमाल किया है। कई रिसर्च की परिणामों ने चिंता जताई है कि वेपिंग से दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा भी बढ़ता है। रोज वेपिंग करने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाइपरटेंशन जैसी दिक्कतें बढ़ती हैं। वेप का इस्तेमाल शरीर में ब्लड प्रेशर के स्तर को भी बढ़ाता है।