पूरे विश्व भर में 24 मार्च यानि आज विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है और उन्हें बताना है कि आप इस बीमारी से कैसे बच सकते हैं। बहुत से लोगों ने इस बीमारी का नाम तो सुना होगा लेकिन इस बीमारी की कुछ खास बातों और इनके लक्षणों से लोग आज भी अनजान हैं। हर साल इस दिन के लिए नई नई थीम चुनी जाती है और इस साल इसकी थीम ‘द क्लॉक इज टिकिंग’ रखी गई है।
क्या है टीबी?
दरअसल टीबी एक ऐसी बीमारी है जो संक्रामक है। इससे सबसे ज्यादा असर व्यक्ति के फेफड़ों पर पड़ता हैं। जो लोग इसकी चपेट में आते हैं उन्हें खांसी आती हैं और खांसी, छींक और इस दौरान मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स के कारण वह सामने वाले को भी संक्रमित कर सकते हैं। अब ऐसा भी नहीं है कि इससे सिर्फ आपे फेफड़े ही शिकार हो बल्कि इससे शरीर के बाकी अंग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। और बहुत से ऐसे लोग हैं जो इसके लक्षणों को अनदेखा करते हैं और फिर यही बीमारी उनके लिए जानलेवा बन जाती है।
टीबी बीमारी को लेकर भारत का है यह लक्ष्य
विश्व भर के साथ-साथ भारत में भी इस बीमारी को लेकर कईं मामलें सामने आते हैं। एक और जहां दुनियाभर के देशों का लक्ष्य 2030 तक इस बीमारी को खत्म करना है वहीं भारत का उद्देश्य 2025 तक टीबी जैसी खतरनाक बीमारी पर जीत हासिल करना है।
तो चलिए आज हम आपको इस बीमारी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे जिन्हें जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।
सबसे पहले आप जान लें इसके लक्षण
. लगातार पसीना आना
. बुखार रहना
. लगातार खांसी आना
. शरीर का थका थका रहना
. सांस लेने में दिक्कत होना
. वजन का लगातार घटना
इन मरीजों के टीबी का अधिक खतरा
आपको बता दें कि टीबी का खतरा सबसे ज्यादा शुगर के मरीजों के होता है। और हमारे आस-पास आज हर 5 से 3 लोग शुगर के शिकार हैं। ऐसे में इन लोगों को टीबी होने का खतरा ज्यादा होता है।
टीबी और एचआईवी
टीबी चाहे देखने में यह बीमारी सामान्य लगती हो लेकिन इसके परिणाम बेहद बुरे होते हैं। टीबी के कारण लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ ही टीबी एचआईवी को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा रहा है और उनकी जान ले रहा है। आंकड़ों की मानें तो स्वस्थ लोगों की तुलना में जिन लोगों को HIV है उन्हें टीबी का खतरा 21 प्रतिशत ज्यादा होता है। ऐसे में टीबी के साथ-साथ एचआईवी भी बढ़ रही है और इससे मृत्यु दर भी बढ़ रहा है।
क्या दोबारा होता है टीबी के मरीजों को खतरा?
बहुत से लोग इस बात से अनजान है कि अगर आपको टीबी है और आप इससे ठीक हो चुके हैं तो क्या आपको इसका खतरा दोबारा है? दरअसल माहिरों की मानें तो दोबारा टीबी होने का खतरा उन मरीजों को ज्यादा हो जाता जिन्हें डायबीटीज होती है। ऐसे लोगों के मामले भी सबसे अधिक देखे गए हैं और मृत्यु दर भी।
जब इलाज देने वाली दवाइयां काम करना बंद कर देती हैं
दरअसल सबसे अधिक टेंशन की बात तब होती है जब टीबी के इलाज में जो दवाइयां दी जाती हैं वह असर करना बंद कर देती हैं। यह स्थिती तब मल्टीपल ड्रग रजिस्टेंट बन जाती हैं यानि कि टीबी की दवाइयां पेशंट पर असर करना बंद कर देती हैं। ऐसी स्थिती वाले भी बहुत सारे केस सामने आते हैं।
बच्चों में भी दिख रही टीबी की समस्या
इस बीमारी का शिकार सिर्फ बड़े लोग या फिर युवा ही नहीं हैं बल्कि इसकी चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो हमारे आस-पास ऐसे कितने ही बच्चे हैं जो इसके शिकार हैं। इतना ही नहीं 15 साल से कम उम्र के बच्चों में पीडियाट्रिक ट्यूबरक्लॉसिस के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है।
इलाज के कारण आती है समस्या
कईं बार इलाज के समय में भी काफी मुश्किल होती है। डायबिटीज के कारण कईं बार टीबी को कंट्रोल करना मुश्किल होता है और इसके कारण इलाज भी काफी लंब चलता है। वहीं टीबी के मरीजों में डायबिटीज भी कंट्रोल करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते आप इसका इलाज करें और अगर आपको ऊपर दिखें लक्षण दिखाईं दें तो आप तुंरत डॉक्टर के साथ संपर्क करें।