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महिलाएं झेल रही दोहरी मार, बच्चे और जॉब के अलावा घर का खर्चा चलाने का भार भी उन पर

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 15 Jul, 2022 01:59 PM
महिलाएं झेल रही दोहरी मार, बच्चे और जॉब के अलावा घर का खर्चा चलाने का भार भी उन पर

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने  वैश्विक श्रम शक्ति में बढ़ती लैंगिग असमानता की ओर इशारा करते हुए कहा कि ईंधन और खाद्य सामान की ऊंची कीमतों के कारण जीवनयापन के खर्च का संकट महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा। जिनेवा का यह शोध संस्थान दावोस में होने वाले अपने वार्षिक आयोजन के लिए चर्चित है। इसमें दुनियाभर नेता, उद्योगपति जुटते हैं।

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डब्ल्यूईएफ ने कहा कि उम्मीद थी कि कोविड-19 संकट समाप्त होने के साथ स्त्री-पुरुष असमानता बढ़ने की वजह से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई हो जाएगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। डब्ल्यूईएम का अनुमान है कि अब दुनिया को स्त्री-पुरुष समानता को हासिल करने में अब 132 साल लगेंगे। पहले इसमें 136 वर्ष लगने का अनुमान था। 

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डब्ल्यूईएफ का मानना है कि लैंगिंग समानता के लिए चार मुख्य चीजों..वेतन और आर्थिक अवसर, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक सशक्तीकरण पर ध्यान देना जरूरी है। इस रिपोर्ट में आइसलैंड को सबसे ज्यादा अंक मिले हैं। उसके बाद कुछ नॉर्डिक देशों और न्यूजीलैंड का नंबर आता है। वहीं यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी 146 देशों की सूची में 10वें स्थान पर है।

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इसके अलावा सूची में अमेरिका 27वें, चीन 102वें स्थान और जापान 116वें स्थान पर है।डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी का कहना है कि महामारी के दौरान श्रम बाजार के नुकसान की वजह से जीवनयापन की लागत का सबसे अधिक संकट महिलाओं पर पड़ा है। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में दो लाख पुरुषों के मुक़ाबले आठ लाख 65 हज़ार महिलाओं ने नौकरी छोड़ दी। इससे समझा जा सकता है कि उनके ऊपर देखभाल की ज़्यादा ज़िम्मेदारी थी। 

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