आज कल बिगड़ते लाइफस्टाइल और तनाव भरी जिदंगी के कारण महिलाओं को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से एक है एंडोमेट्रियोसिस, जो परेशानी का सबब बनती जा रही है। क्या एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित महिला गर्भवती हो सकती है? ये सवाल कई बार उठ चुका है जिसका जवाब एक स्टडी में सामने आया है।
अब लोग हो रहे जागरूक
एम्स के स्त्री रोग विभाग में आईसीएमआर, राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर की गई स्टडी में यह बात सामने आई है कि एंडोमेट्रियोसिस के चलते 40 फिसदी प्रतिशत महिलाएं मां नहीं बन पाई हैं। हालांकि इसे लेकर लोग अब जागरूक हो रहे हैं और ईलाज के लिए आगे आ रहे हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनियाभर में 25 -30 साल की करीब 89 मिलियन औरतें इस बीमारी की चपेट में हैं, जिसका एक कारण जागरूकता में कमी है।
क्या है एंडोमेट्रिओसिस?
गर्भाशय की लाइनिंग को एंडोमेट्रियम कहते हैं और एंडोमेट्रिओसिस यूट्रस में होने वाली बीमारी है। जब यूट्रस में मौजूद ऊतक आसामान्य रूप से ओवरी, पेल्विस, बाउल, फैलोपियन ट्यूब, पेडू, अंडाशय और अन्य प्रजनन की आंतरिक परत में फैलने लगते हैं तब यह समस्या पैदा होती है। करीब 40% महिलाएं इस बीमारी के कारण गर्भधारण नहीं कर पाती।
एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण
-पीरियड्स के पहले और बाद में पेट के निचले हिस्से में दर्द
-पेल्विक हिस्से में दर्द होना या मांसपेशियों में खिचाव
-पेट, पीठ के निचले हिस्से या पेडू में दर्द
-कंसीव करने में दिक्कत
-पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग, दर्द व ऐंठन
-यौन संबंध के दौरान दर्द
-थकान, दस्त, कब्ज, कमजोरी और उल्टी
-शरीर के अंगों में सूजन
-यूरिन पास करते समय जलन
कंसीव करने में भी आती है दिक्कत
स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि- ज्यादातर महिलाएं इनफर्टिलिटी की समस्या लेकर आती हैं। जांच में एंडोमेट्रियोसिस का पता चलता है। हर दिन दो से चार मरीज सामने आते हैं। दो से आठ फीसदी की उम्र 25-40 वर्ष के बीच होती है। 2021 के आंकड़ों के अनुसार, प्रजनन आयु वर्ग की लगभग 5 से 15 फीसदी महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित हैं। शरीर में कोशिकाओं के बढ़ने, रेट्रोग्रेड मेंस्ट्रुएशन, पेल्विक संक्रमण, अनुवांशिक और यूटेराइन समस्याओं के कारण इसका खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण शरीर के प्रभावित हिस्सों में दिक्कत आ जाती है। यहां तक की यह बीमारी महिलाओं की प्रेगनेंसी में भी बाधा डालती है
एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त महिलाओं को होती है परेशानी
प्रेग्नेंसी के लिए महिलाओं की ओवरी में एक अंडा रिलीज होता है जो कि फैलोपियन ट्यूब के जरिए स्पर्म की कोशिका से फर्टिलाइज होता है और विकसित होने के लिए अपने आप ही यूट्राइन दीवार से जुड़ जाता है। एंडोमेट्रियोसिस ट्यूब में रुकावट पैदा कर सकती है और अंडे एवं स्पर्म को एकसाथ जोड़कर रख सकती है। हल्के से सामान्य एंडोमेट्रियोसिस के मामलों में महिलाएं फिर भी गर्भधारण कर सकती हैं। एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त महिलाओं को डॉक्टर सलाह देते हैं कि इन्हें जल्द से जल्द गर्भधारण कर लेना चाहिए क्योंकि समय के साथ इसकी स्थिति और खराब होती चली जाती है।
एंडोमेट्रिओसिस का उपचार
टेस्ट और सोनोग्राफी के जरिए इस बीमारी का पता लगाने के बाद डॉक्टर हार्मोंनल दवाएं या महीने में एक इंजेक्शन लगाते हैं। हालांकि यह इलाज स्थाई नहीं है और इसके साइड इफेक्ट की संभावना भी रहती है। वहीं, उम्रदराज या सर्जरी करवा चुकी महिलाओं को डॉक्टर गर्भाशय और ओवरीज निकलवाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा कई बार तीसरी और चौथी स्टेज पर भी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।