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Ganesh Chaturthi : श्री गणेश जी को मोदक क्यों है पसंद?

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 25 Aug, 2025 05:34 PM
Ganesh Chaturthi : श्री गणेश जी को मोदक क्यों है पसंद?

नारी डेस्क : श्री गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में जाना जाता है, भारतीय धर्म और संस्कृति में विशेष स्थान रखते हैं। उन्हें मोदक बहुत प्रिय हैं। खासकर गणेश चतुर्थी पर मोदक बनाना और उन्हें भोग के रूप में अर्पित करना एक प्रचलित परंपरा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि श्री गणेश जी को मोदक क्यों इतने प्रिय हैं? इसका पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। 

मोदक का महत्व

मोदक एक स्वादिष्ट मीठा पकवान है, जिसे मुख्य रूप से चावल या गेहूं के आटे से बनाया जाता है और इसके अंदर नारियल और गुड़ का मिश्रण भरा जाता है। इसे केवल मिठाई नहीं माना जाता, बल्कि यह विद्या, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक भी है। कहा जाता है कि जो भक्त मोदक भगवान गणेश को भक्ति भाव से अर्पित करता है, उसके जीवन में सुख, शांति और सफलता आती है। मोदक का सरल बाहरी आवरण जीवन की कठिनाइयों और अंदर की मिठास जीवन में आनंद और संतोष का संदेश देती है।

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कथा: मोदक की प्रियता

पुराणों में कहा गया है कि एक बार पार्वती माता ने अपने प्रिय पुत्र गणेश के लिए खास मोदक बनाए। उन्होंने इसे इतनी मेहनत और स्नेह से तैयार किया कि उसकी खुशबू पूरे घर में फैल गई। जब गणेश जी ने मोदक का स्वाद लिया, तो उनका चेहरा प्रसन्नता से दमक उठा। उन्होंने इसे अपनी सबसे प्रिय मिठाई मान लिया और कहा कि मोदक की मिठास में उनके लिए विशेष आनंद है।

कहानी केवल स्वाद तक सीमित नहीं है। एक अन्य कथा के अनुसार, गणेश जी ने मोदक को अपने भक्तों के लिए प्रिय इसलिए बनाया कि यह जीवन का एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। मोदक का बाहरी आवरण सरल और साधारण होता है, लेकिन इसके अंदर अत्यंत मिठास और पोषण छिपा होता है। यह दर्शाता है कि जीवन में सतही कठिनाइयों और परेशानियों के बावजूद, भीतर सुख, संतोष और आनंद हमेशा मौजूद होता है।

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गणेश जी की यह पसंद भक्तों के लिए भी शिक्षा है। जैसे मोदक का स्वाद धीरे-धीरे महसूस होता है, वैसे ही जीवन की खुशियां और उपलब्धियां संयम, धैर्य और भक्ति से मिलती हैं। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी पर भक्त बड़े प्रेम और श्रद्धा के साथ मोदक बनाते हैं और उन्हें भगवान को भोग अर्पित करते हैं। इस प्रकार मोदक न केवल गणेश जी की प्रिय मिठाई है, बल्कि यह जीवन में खुशियों, धैर्य और आध्यात्मिक संतोष का प्रतीक भी है। भक्तों के लिए यह संदेश है कि जीवन की वास्तविक मिठास हमेशा भीतर ही छिपी रहती है, बस उसे अनुभव करने की आवश्यकता होती है।

धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि

श्री गणेश के मोदक प्रिय होने का धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ गहरा है। मोदक का आकार गणेश जी के बड़े कानों और छोटे पेट के साथ संतुलन का प्रतीक माना जाता है। यह दर्शाता है कि जीवन में संतुलन, संयम और समझदारी बनाए रखना आवश्यक है। साथ ही मोदक बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक भी है, क्योंकि इसे बनाना और खाते समय ध्यान, संयम और भक्ति की आवश्यकता होती है।

गणेश चतुर्थी के दौरान मोदक बनाना और उन्हें भोग में अर्पित करना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख, शांति और समृद्धि लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी माना जाता है। मोदक के माध्यम से भक्त अपने मन और आत्मा को भगवान गणेश की भक्ति में लगाते हैं और जीवन में आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर होते हैं।

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श्री गणेश को मोदक पसंद होने का कारण केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरे धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक संदेश भी हैं। इसलिए गणेश चतुर्थी पर मोदक बनाना और उन्हें भोग अर्पित करना हमारी संस्कृति और परंपरा का अनमोल हिस्सा है। यह न केवल भगवान गणेश के प्रति हमारी भक्ति दिखाता है, बल्कि हमें जीवन के मूल्यों और सीखों की भी याद दिलाता है।

गणेश जी की भक्ति में मोदक की मिठास का अनुभव करने से मन प्रसन्न होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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