कोरोना वायरस का सटीक इलाज या वैक्सीन अभी तक तैयार नहीं की जा सकी है। मगर, कोरोना को हराने के लिए उम्मीद की नई किरण दिखी है, प्लाज्मा थेरेपी। कहा जा रहा है कि दिल्ली के कई मरीजों पर यह थेरेपी सफल रही। उम्मीद है कि इसके सहारे आगे इलाज करना संभव होगा। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है प्लाज्मा थेरेपी और कैसे करती है काम...
क्या है प्लाजा थेरेपी?
किसी संक्रमण से उभर कर ठीक हो जाने पर शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले एंटीबॉडी बनते हैं, जो उनको कोरोना से बचाते हैं। ठीक हुए मरीज के खून से प्लाज्मा (एंटीबॉडी) निकालकर संक्रमित मरीज को चढ़ाया जाए तो वो उनके शरीर को भी वायरस से लड़ने की ताकत मिल जाएगी।
कैसे लिए जाते हैं प्लाज्मा?
खून से प्लाज्मा लेने के दो तरीके हैं। पहला - जिसमें अपकेंद्रित्र तकनीक यानी सेंट्रिफ्यूज तकनीक से 180 मि.ली से 220 मि.ली तक कन्वेंशनल सीरा यानी प्लाज्मा ले सकते हैं। दूसरा- एफ्रेसिस मशीन/सेल सेपरेटर मशीन का यूज करके एक बार में 600 मि.ली प्लाजमा लिया जा सकता है।
प्लाज्मा कितने समय तक स्टोर किया जा सकता है?
किसी डोनर के शरीर से प्लाज्मा लेने के बाद उसे तकरीबन एक साल तक -60 डिग्री सेल्सियस के तापमान में स्टोर करके रखा जा सकता है।
प्लाजा थेरेपी की सफलता
दिल्ली में चार मरीजों पर ट्रायल के रूप में इसका इस्तेमाल हुआ, जिसके नतीजे अच्छे मिले है। वहीं इससे कई सीरियस मरीज भी बेहतर हो गए हैं।
प्लाजा थेरेपी में क्या लाभ मिल?
1. लंग इंफैक्शन जल्दी ठीक होता है
2. बाकी इलाजों से सस्ता
3. मरीजों में रेपिपरेटरी रेट सुधरा
4. ऑक्सीजन रेट सुधरा
कितनों मरीजों का किया जा सकता है इलाज?
डॉक्टर्स के मुताबिक एक इंसान से खून के प्लाजमा की मदद से दो लोगों का इलाज किया जा सकता है।
क्या कोरोना से ठीक हुआ मरीज बन सकता है डोनर?
अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस का संक्रमण ठीक हो गया है तो वह प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। मगर, व्यक्ति कोरोना नेगेटिव आने के 2 हफ्ते बाद ही प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
चुनौती
-ठीक हुए मरीज प्लाज्मा डोनेट करने से कतरा रहे हैं।
-केजरीवाल की अपीलः जो लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं, अब उनको आगे आना चाहिए, जिससे प्लाज्मा की कमी न होने पाए।
प्लाज्मा देने से नहीं होगा कोई नुकसान
कोरोना से ठीक होकर वापस लौटे मरीज प्लाज्मा देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। मगर, बता दें कि प्लाज्मा देने से डोनर को कोई खतरा नहीं है। यह ब्लड डोनेशन नहीं है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति के शरीर से एक मशीन द्वारा खून निकालकर प्लाज्मा निकाला जाता है और फिर बाकी खून शरीर में वापस डाल दिया जाता है। इससे शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती और प्लाज्मा भी दोबारा बनने लग जाता है। फिर अगर कोई चाहे तो एक हफ्ते बाद दोबारा प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
क्या इससे पक्का ठीक होगा कोरोना?
कोरोना के इलाज में प्लाज्मा ट्रीटमेंट कितना कारगर है लेकिन यह कह पाना अभी मुश्किल है कि इससे मरीज पक्का ठीक होगा। हालांकि चीन के अलावा कई देशों में इस ट्रीटमेंट में काफी फायदा मिला है।