कुछ लोगों के दांत कीड़ा लगने या ज्यादा मीठे खाने के कारण खराब हो जाते हैं। इसके कारण उन्हें हर किसी के सामने शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कुछ लोग गायब स्माइल को वापस लाने के लिए डेंटल वेनीर (Dental Veneers) का सहारा लेते हैं। हालांकि इस तकनीक के जरिए दांतों के गैप, उबड़-खाबड़, छोटे-बड़े और टूटे दांतों का भी इलाज किया जाता है। मगर, डेंटल वेनीर कई तरह के होते हैं, जिसके फायदे-नुकसान भी अलग-अलग हैं। ऐसे मे आपको पता होना चाहिए कि Dental Veneers क्या है और क्यों व कैसे किया जाता है इसका इस्तेमाल...
क्या है Veneers?
वेनीर (Veneers) पतली, वेफर की तरह शेल्स होती है , जो आगे के दांतों को कवर करने के लिए यूज होती हैं। ये शेल्स कस्टम होती हैं जिन्हें दांतों के रंग वाले मटेरियल से बनाया जाता है। इसका यूज पीले दांत, उबड़ खाबड़ दांत, दांतों के बीच में गैप के लिए होता है।
कब और क्यों इस्तेमाल की जाती है टीथ वेनीर?
टीथ वेनीर का इस्तेमाल तब किया जाता है जब चोट की वजह से किसी के दांत टूट गए हो। दांत का मेकओवर करने के लिए टीथ वेनीर यूज किया जाता है। इसके अलावा दांतों के बीच गैप, एक समान रंग, शेप और समानता को भी टीथ वेनीर से ठीक किया जा सकता है।
कितने तरह के होते हैं टीथ वेनीर और उनमें फर्क?
टीथ वेनीर 2 तरह के होते हैं - कॉम्पोजिट और पॉर्सलिन। इनका मटेरियल भी एक-दूसरे से अलग-अलग होता है। कॉम्पोजिट वेनीर सीधे तौर पर दांतों पर लगाया जाता है जबकि पॉर्सलिन राल सीमेंट के जरिए फिट किया जाता है। इसके लिए ल्युमिनियर (lumineers), सरैमिक (ceramic), मैक (mac) दी विनिक (Da Vinic) और एक्रिलिक (acrylic) मटेरियल यूज होता है।
टीथ वेनीर लगवाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
1. अगर दांत बहुत कम टूटा है तो भी पॉर्सलिन टीथ वेनीर का चयन ना करें। दरअसल, इसे लगाने के लिए दांत के 3-30% हिस्से को नष्ट किया जाता है। ऐसेमें इसका इस्तेमाल आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
2. बच्चों व युवकों को टीथ वेनीर लगवाने से बचना चाहिए क्योंकि यह दांतों को सीधा और तुरंत सुंदर बनाने की तकनीक नहीं है।
3. सिर्फ दांतों में चमक लाना चाहते हैं तो टीथ वेनीर का चयन गलती से भी ना करें।
4. ध्यान रहें कि वेनीर किसी सर्टिफाइड डेंटिस्ट से ही लगवाएं क्योंकि 50% मामलों में यह अपनी जगह से हट जाता है।
5. जिन लोगों के दांत बहुत ज्यादा टूटे, उबड़-खाबड़ या अलग है, सिर्फ उन्हें ही इस तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए।
ओरल हाइजीन के लिए टिप्स
1. ओरल हाइजीन के लिए हर किसी दिन में कम से कम 2 बार ब्रश करना चाहिए, खासकर सोने से पहले ब्रश जरूर करें।
2. कम से कम 6 महीने बाद अपने डेंटिस्ट के पास जाकर चेकअप जरूर करवाएं।
3. दांतों को स्वस्थ व चमकदार रखने के लिए फ्लोइड टूथपेस्ट इस्तेमाल करें।
4. अगर बच्चे 3 साल से कम है तो उन्हें फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट ना दें। वहीं, 3 साल से बड़े बच्चों को मटर के दाने से भी कम फ्लोराइड टूथपेस्ट दें।