नारी डेस्क: राधारानी के परम भक्त और वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है। लोग उनकी बातों का नहीं सिर्फ ध्यान से सुनते हैं बल्कि मानते भी हैं। हाल ही में उन्होंने नवरात्रि का व्रत रख रहे भक्तों के लिए एक संदेश दिया है, जिसमें बताया गया है कि व्रत कैसे और किस तरह रखना चाहिए। उन्होंने फलाहार को लेकर भी कुछ नियम बताए हैं।
प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि व्रत केवल प्रभु की आराधना के लिए रखा जाता है, इस दौरान आराधना में लीन होना चाहिए। वायरल हो रहे वीडियो में उन्होंने कहा लोगों को यह तो पता है कि व्रत में फलाहार कर सकते हैं लेकिन कितना बार करना चाहिए इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। उनका कहना है कि अधिकांश लोग कूटू के आटे की पकौड़ी खा लेते हैं और भगवान को भूखा रखते हैं।
महाराज जी का कहना है कि व्रत रखने का मतलब यह नहीं कि आप दिन भर खाते ही रहें। उन्होंने कहा- पहला नियम यह है कि भगवान की सेवा पूजा करने के बाद दोपहर में 12:00 बजे चरणामृत लेकर अपने व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। अगर भूख बर्दास्त नहीं होती है तो शाम को फल या दूध ले सकते हैं। अगली सुबह व्रत को तोड़ना चाहिए. व्रत वाले दिन सुबह से शाम तक खाना नहीं चाहिए। उनका कहना है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो व्रत के नाम पर खाते ही रहते हैं।
प्रेमानंद महाराज जी की मानें तो व्रत रखने वाले व्यक्ति को खान-पान पर संतुलन रखना चाहिए। उनका मानना है कि इ कुट्टू, सिंघारा, समा का चावल को भी फलाहारी के तौर पर खाना सही नहीं है। ये महंगे मिलते हैं और त्याग के प्रतीक नहीं माने जाते हैं।