18 APRTHURSDAY2024 4:48:03 AM
Nari

192 साल पहले  वायसराय लार्ड विलियम ने महिलाओं को दिलाई थी सती प्रथा के पाखंड से आजादी

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 04 Dec, 2021 03:44 PM
192 साल पहले  वायसराय लार्ड विलियम ने महिलाओं को दिलाई थी सती प्रथा के पाखंड से आजादी

क्या कोई समाज किसी ऐसी घटना की कल्पना कर सकता है, जिसमें पति की मौत के बाद उसकी जीती जागती पत्नी को भी जलने के लिए मजबूर किया जाए और इसे प्रथा का नाम देकर सही भी ठहराया जाए। सती प्रथा एक ऐसी ही कुप्रथा थी, जिसमें पति के निधन के बाद उसकी पत्नी को उसकी चिता में जीते जी झोंक दिया जाता था।


1829 को लगी थी इस प्रथा पर रोक 

भारत में व्याप्त इस कुप्रथा को खत्म करने का श्रेय अंग्रेज वायसराय विलियम बेंटिक को जाता है, जिन्होंने चार दिसंबर 1829 को सती प्रथा पर रोक लगा दी। लार्ड बेंटिक भारतीय समाज से तमाम बुराइयां खत्म करने के हिमायती थे और उन्होंने नवजात कन्या वध की कुप्रथा का भी अंत किया था। उन्होंने भारतीय सेना में प्रचलित कोड़े लगाने की प्रथा भी खत्म कर दी थी। 


सती प्रथा को बुरा मानते थे  अंग्रेज

अंग्रेज शासक सती प्रथा को बुरा मानते थे, पर उनको डर था कि इसमें हस्तक्षेप करने से शायद इस देश में अशांति फैल जाएगी और उनके साम्राज्य के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। इस कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए राजा राममोहन राय को बुलाकर उनसे मशविरा किया गया। वायसराय और  राजा राममोहन राय ने कानून बनाकर सदा के लिए सती- प्रथा को बंद करा दिया। तीन दिन के भीतर ही इस कानून का आदेश मजिस्ट्रेटों के पास भेज दिया गया। 

 

क्या थी सती प्रथा 

यह एक ऐसी प्रथा थी जिसमें पति की मौत होने पर पति की चिता के साथ ही उसकी विधवा को भी जला दिया जाता था। कई बार तो  रजामंदी होती थी तो कभी-कभी उनको ऐसा करने के लिए जबरन मजबूर किया जाता था। पति की चिता के साथ जलने वाली महिला को सती कहा जाता था जिसका मतलब होता है पवित्र महिला। चिता पर जलने के दौरान उनकी चीखों और दर्द की पीड़ा को कोई भी ध्यान नहीं देता था। 


 

Related News