गर्भाशय यानि यूट्रस कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो महिलाओं को किसी भी उम्र में हो सकती है। हालांकि 30-45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है। गर्भाशय कैंसर आंत, मूत्राशय, लिम्फ नोड्स, पेट, लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। औरतों के लापरवाही के कारण उनमें इस कैंसर के होने की संभावना बढ़ रही है क्योंकि वो शरीर में आए बदलावों को मामूली समझकर इग्नोर कर देती हैं।
70 में से एक महिला कैंसर का शिकार
रिसर्च के मुताबिक, कई विकासशील देशों में यूट्रस कैंसर की आशंका 15 गुना ज्यादा है, जिसका कारण ना सिर्फ जागरूकता की कमी है बल्कि सही उपचार ना मिलना भी है। जबकि यह एक ऐसा कैंसर है, जिसका पता 5-10 पहले शुरूआती स्टेज में लगाया जा सकता है। आंकड़े बताते हैं कि इस वक्त दुनिया में हर 70 में से एक महिला को यूट्रस कैंसर की चपेट में है, जिसमें से 62 हजार की मौत हो जाती हैं।
सबसे पहले जानते हैं किन महिलाओं को यूट्रस कैंसर का अधिक खतरा...
. 30 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में यह सर्वाधिक होने वाला कैंसर है।
. जिन महिलाओं के परिवार में इसकी हिस्ट्री रही हो
. 50 साल की उम्र के बाद जिन महिलाओं को मोनोपॉज हो
. आमौतार पर 11-15 साल की उम्र में पीरियड्स आ जाते हैं लेकिन इससे मासिक धर्म होने वाली महिलाओं में यूट्रस कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
. इसके अलावा स्मोकिंग व शराब का अधिक सेवन, बर्थ कंट्रोल पिल्स, PCOS और मोटापा से ग्रस्त महिलाओं को भी अधिक खतरा होता है।
. ऐसी महिलाएं जो कभी प्रेगनेंट न हुई हों
. ब्रेस्ट कैंसर ट्रीटमेंट लेने के बाद भी कई बार गर्भाशय का कैंसर हो सकता है
. यूट्रस ट्यूमर होने की वजह ह्यूमन पौपीलोमा वायरस, टेस्टोस्टेरोन हार्मोंन की कमी भी है।
संकेत जो करते हैं यूट्रस कैंसर की ओर इशारा
मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग होना
मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग या ब्लड स्पॉटिंग हो तो उसे हल्के में ना लें। तुरंत डॉक्टरी जांच करवाएं।
बार-बार पेशाब आना
बार-बार पेशाब आना, पेशाब से खून या उठते-खांते समय यूरिन लीक होना भी यूट्रस कैंसर के शुरूआती लक्षणों में से एक है।
संबंध बनाते समय दर्द होना
ओवरी में ट्यूमर होने के कारण शारीरिक संबंध बनाते समय असहनीय दर्द होता है। मेडिकल भाषा में इसे डायसपारुनिया भी कहा जाता है।
शरीर में दर्द व सूजन
पीठ या पेट के निचले भाग में दर्द व सूजन, अपच, पेट फूलना, गैस बनना, मितली और हार्टबर्न समस्याओं से घिरी रहती हैं तो इसे हल्के में ना लें।
सांस लेने में परेशानी
ओवेरी कैंसर से पेट में एक तरल पदार्थ बन जाता है जो पेट की लाइनिंग में दबाव बना देता है। इसके कारण सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा बेवजह की थकान भी इस कैंसर की ओर इशारा है।
मल त्याग में परेशानी
कैंसर बढ़ने से पेट, मूत्राशय और छोटी अंत पर दबाव पड़ता है। इससे सख्त मल, कब्ज, मल से खून आना, जलन व दर्द जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
पेल्विक में दर्द
ओवरी में होने वाले कैंसर के कारण पेल्विक में दर्द होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ट्यूमर का दबाव ओवरी और इसके आसपास के अंगों पर पड़ता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।