कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन 4 महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु जागते हैं इसलिए देवउठनी एकादशी का व्रत रखना और पूजा करना बेहद फलदायी मानी जाती है। इस बार देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं व्रत का पारण 24 नवंबर को होगा और इसी दिन शालीग्राम और देवी तुलसी का विवाह रचाया जाएगा। देवोत्थान एकादशी पर भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी का विवाह करवाने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। विवाह और पूजन विधि-विधान से करने के लिए पूजा सामग्री में कुछ चीजों को जरुर शामिल करें। इन चीजों को शामिल किए बिना पूजा अधूरी रह जाती है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह में कौन-कौन सी चीजें जरुरी होती हैं।
विवाह के लिए आवश्यक पूजन सामग्री
तुलसी विवाह पूजा में मंडप तैयार करने के लिए गन्ना, चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा, तुलसी के पौधे को अच्छे से सजाएं। धूप, दीपक, फूल, वस्त्र, माला, सुहाग का सामान, लाल चुनरी, साड़ी, हल्दी, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा, सीताफल, मूली, आवंला, अमरुद और मौसमी फल आप पूजा में जरुर शामिल करें।
किस तरह करें पूजा?
तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करने के लिए हिंदू पंचाग के मुताबिक शुभ मुहूर्त ही चुनें। इस शुभ मुहूर्त में घर के आंगन, छत या बालकनी के नीचे अच्छी तरह से सफाई करें। वहां गन्ने के साथ मंडप तैयार करें। देवठान के दिन शाम के समय भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के आगमन के लिए तुलसी विवाह से पहले रंगोली बनाएं। तुलसी माता और भगवान शालिग्राम का विधि-विधान के साथ विवाह करवाएं। देसी घी के 11 दीपक जलाएं। गन्ना, अनार, केला, सिंघाड़ा, लड्डू, पताशे, मूली आदि मौसमी फल और नया अनाज अर्पित करें। इस शुभ अवसर पर विवाह के मांगलिक गीत भी गाए जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन नामाष्टक सहित विष्णु सहत्ननाम के पाठ करें। पाठ करने से आपको बहुत ही पुण्य मिलेगा।
इस मंत्र का करें जाप
इस दिन मां तुलसी और शालीग्राम की कृपा पाने के लिए तुलसी को स्पर्श करते हुए इस मंत्र का जाप करें। 'महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।'