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एक्सीडेंट में दोनों पैर गंवाने के बाद गन तक उठा नहीं पाईं थी अविन, आज गोल्ड मेडल जीत रचा इतिहास

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 30 Aug, 2021 01:13 PM
एक्सीडेंट में दोनों पैर गंवाने के बाद गन तक उठा नहीं पाईं थी अविन, आज गोल्ड मेडल जीत रचा इतिहास

24 अगस्त से शुरू हुए टोक्यो पैरालंपिक्स में भारत की बेटियों का जलवा बरकरार है। भारतीय खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने जहां टेबल टेनिस में सिल्वर मेडल जीत भारत को पहला मेडल दिलाया। वहीं अब भारत की अवनि लेखरा ने शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर स्पर्धा एसएच-1 में यह गोल्ड मेडल जीता। टोक्यो पैरालंपिक में भारत का यह पहला गोल्ड मेडल है।  बता दें कि भारत को गोल्ड दिलाने वाली अवनि की यह जीत इतनी आसान नहीं थी  इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी में  काफी संघर्ष किया है। आइए जानते हैं अवनि के संघर्ष की कहानी के बारे में-

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राजस्थान की अवनि लेखरा जयपुर की रहने वाली है। अवनि ने 9 साल पहले कार एक्सीडेंट में अपने दोनों पैर गंवा दिए थे जिस वजह से वह व्हीलचेयर पर हैं। उनके मेडल जीतते ही उनके पिता प्रवीण लेखरा ने बताया कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनकी बेटी ने गोल्ड जीत लिया है। मेडल की उम्मीद थी, लेकिन यह नहीं सोचा था कि बेटी गोल्ड जीत लेगी। 

एक्सीडेंट के महज पांच साल के भीतर ही अवनी ने गोल्डन गर्ल का तमगा हासिल किया
कार एक्सीडेंट में अपने दोनों पैर गंवाने के बावजूद  अवनि ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ने की ठान ली। दुर्घटना के महज तीन साल बाद ही अवनी ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बनाया और महज पांच साल के भीतर ही अवनी ने गोल्डन गर्ल का तमगा हासिल कर लिया।

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पहली बार तो बेटी से गन भी नहीं उठी थी लेकिन आज गोल्ड जीत देश को गौरवंतित किया
अवनि के पिता प्रवीण लेखरा ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद बेटी पूरी तरह टूट चुकी थी। चुप रहने लग गई थी। किसी से बात नहीं करती थी, पूरी तरह डिप्रेशन में चली गई थी। इतनी कमजोर हो गई थी कि कुछ कर नहीं पाती थी। किस खेल में इसे इन्वॉल्व करूं यही सोचता रहता था, एथलेटिक्स में नहीं भेज सकते थे, क्योंकि जान नहीं बची थी। इसके बाद शूटिंग में कोशिश की और पहली बार तो इससे गन तक नहीं उठी थी, मगर आज बेटी के गोल्ड मेडल के बाद टोक्यो पैरालिंपिक के पोडियम पर राष्ट्रगान गूंजा जो बेहद सम्मान की बात है।

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कोरोना काल में भी आई ये मुश्किलें
कोरोना के चलते अवनि को पिछले दो सालों से काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके पिता ने घर में टारगेट सेट कर अवनी की प्रैक्टिस करवाई। पैरालंपिक की तैयारी कर रही अवनि घर पर ही टारगेट पर प्रैक्टिस की इतना ही नहीं उनका गोल्ड पर निशाना साधना ही लक्ष्य था। इसके लिए वो नियमित रूप से जिम और योगा पर ध्यान देती थीं। उन्होंने फिट रखने के लिए खान-पान पर भी ध्यान दिया। 

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पैरालिंपिक में महिलाओं का है यह तीसरा मेडल 
पैरालिंपिक इतिहास में भारत के लिए महिलाओं ने तीसरा मेडल जीता है, इससे पहले शॉटपुट में दीपा मलिक और इसी पैरालिंपिक में भाविना पटेल ने टेबल टेनिस में मेडल जीता है। वहीं ओलिंपिक में महिलाओं ने भारत को अब तक 8 मेडल दिलाए हैं। जिनमें से पीवी सिंधु के 2, जबकि कर्णम मल्लेश्वरी, साइना नेहवाल, मैरिकॉम, साक्षी मलिक, मीराबाई चानू, लवलीना बोरगोहेन भारत को मेडल दिला चुकी हैं। 

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