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भगवान राम और माता सीता के जीवन से सीखें ये बातें, शादीशुदा जिंदगी में नहीं आएगी दरार

  • Edited By palak,
  • Updated: 17 Apr, 2024 11:46 AM
भगवान राम और माता सीता के जीवन से सीखें ये बातें, शादीशुदा जिंदगी में नहीं आएगी दरार

शादी एक ऐसी रिश्ता है जो तभी टिक पाता है जब दोनों में विश्वास हो। विश्वास के साथ किसी भी रिश्ते को लंबे समय तक मजबूत रखा जा सकता है लेकिन कई बार शादीशुदा जिंदगी में कई बातों को लेकर तनाव पैदा हो जाता है।  कभी-कभार तो यह तनाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है। आज राम नवमी मनाई जा रही है। ऐसे में आज आपको भगवान राम और माता-सीता के वैवाहिक जीवन की कुछ ऐसी बातें बताते हैं जिन्हें अपनाकर आप भी आदर्श पति-पत्नी बन सकते हैं। 

एक-दूसरे के लिए त्याग 

शादीशुदा जीवन को मजबूत बनाने के लिए आपको कई अवसरों में चीजों को छोड़ना पड़ेगा। एक-दूसरे के लिए त्याग करके आप रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं। माता सीता ने भी महलों का त्याग करके भगवान राम के साथ वन में रहने का फैसला लिया था। ऐसे में उनके जीवन से आपको यह सीख लेनी चाहिए कि परिस्थिति कैसी भी हो एक-दूसरे के लिए चीजों का त्याग करके आप रिश्ते की डोर मजबूत बना सकते हैं।

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ईमानदारी है जरुरी 

रिश्ता कोई भी हो उसमें एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना बहुत जरुरी है। ईमानदारी एक ऐसी चीज है जो आपके रिश्ते को मजबूत बनाएगी। माता सीता और भगवान राम के रिश्ते से भी आपको यही सीखना चाहिए कि एक-दूसरे के प्रति आप ईमानदार कैसे रह सकते हैं।  

एक-दूसरे का दें साथ 

अच्छे पति-पत्नी का धर्म यही है कि वह एक-दूसरे का हर कठिन परिस्थितियों में साथ दें। भगवान राम ने जब वनवास लिया था तो माता सीता ने भी पत्नी धर्म निभाते हुए उनके साथ चलने का फैसला किया था। उस समय भगवान राम ने माता सीता से महल में रहने को कहा था लेकिन उन्होंने अपना पत्नी धर्म निभाते हुए कहा था कि जहां उनके पति रहेंगे वह भी वहीं रहेंगी। ऐसे में उन्होंने भगवान राम के साथ जाने का फैसला लिया था। उनके इस फैसले से आप यह सीख ले सकते हैं कि आपको भी हर कठिन परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ देना है। 

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भरोसा रखें 

हर रिश्ता भरोसे की नींव पर टिका होता है। यदि आपको एक-दूसरे पर भरोसा नहीं होगा तो कुछ दिनों में ही रिश्ता टूट जाएगा। यदि आप रिश्ता मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे पर भरोसा रखें। जब लंकापति रावण मां सीता को लंका ले गया था तो मां सीता ने हार नहीं मानी क्योंकि उन्हें भरोसा था कि भगवान राम उन्हें वापिस लेने आएंगे। 

निस्वार्थ भाव से प्यार 

भगवान राम और मां सीता के वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की स्वार्थ भावना नहीं थी। प्रेम में यदि कोई स्वार्थ छिपा हो तो वह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाता। ऐसे में अपने वैवाहिक रिश्ते को यदि आप मजबूत बनाना चाहते हैं तो जरुरी है कि एक-दूसरे को निस्वार्थ भाव से प्रेम करें। असली प्रेम वही होता है जो किसी को निस्वार्थ भाव के साथ किया जाए। 

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