डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जो सिर्फ बड़ों ही नहीं बच्चों को भी अपनी चपेट में निकल रही हैं। टीनएज एक ऐसी अवस्था है, जहां बहुत से फिजिकल, मेंटल और हार्मोनल चेंजेस आते हैं, जिससे वो डिप्रेशन की चपेट में आते हैं। वहीं पेरेंट्स बच्चों पर फर्स्ट आने के चक्कर में इतना प्रेशर डाल देते हैं कि वो इसे झेल नहीं पाते और डिप्रेशन की चपेट में आ जाते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इसके कारण बच्चों व युवाओं में आत्महत्या के मामले में काफी बढ़ रहे हैं।
इसी सिलसिले में डॉक्टर स्मिता वासुदेव से बातचीत की गई। तो चलिए जानते हैं बच्चों में डिप्रेशन के क्या लक्ष्ण होते हैं और उसे ट्रीट कैसे किया जाए...
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
. पढ़ाई में मन ना लगना
. व्यवहार में बदलाव
. अकेले रहना
. खान-पान में बदलाव
. फोकन नहीं पाता
. दोस्तों से ना मिलना
. किसी से बात ना करना
. नींद की आदत में बदलाव
ऐसी स्थिति को पेरेंट्स कैसे करें हैंडल
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो रहा है तो उनके साथ आराम से बैठकर बात करें। उनसे आराम से पूछे कि उनके मन में क्या चल रहा और वो किस बात को लेकर परेशान है। आराम से उनकी बात सुनकर उसका हल निकालें।
पेरेंट्स के लिए जरूर मेसेज
- हर मां-बाप को अपने बच्चे के साथ फ्रैंडली रिलेशन रखना चाहिए। उन्हें एक दोस्त की तरह उनके साथ बात करें।
- उनसे दिनभर के बारे में डिस्कस करें। अगर बच्चे कोई प्रॉब्लम फेस कर रहे हैं तो उसका हल निकालें।
- उन्हें किसी भी चीज के लिए फोर्स ना करें। वो जो करना चाहते हैं उन्हें करने दें।
- पढ़ाई के लिए बच्चों पर प्रैशर ना डालें।
- बच्चों को इतनी आजादी दें कि वो अपने पैशन को डिवेलप कर सकें। उन्हें इसके लिए मोटीवेट करें।
- उनके साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें और अकेला ना रहने दें।
- बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि इससे माता-पिता बच्चों को आसानी से इस समस्या से बचा सकते हैं।
- बच्चों के खान-पान का भी खास ख्याल रखें। अगर बच्चे में डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाए तो बेहतर होगा कि आप किसी चिकित्सक से बात करें।
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