रानी मुखर्जी की नई फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' इन दिनों कुछ ज्यादा ही सुर्खियों में है। सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म में एक भारतीय मां अंजान देश नाॅर्वे में अपने दो बच्चों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ती है। पहली बार विदेशी धरती पर रहने के चलते कपल वहां के तौर-तरीकों और कानून से अनजान थे जिसके कारण उन्हें अपने बच्चों से अलग होना पड़ा। इस फिल्म के बारे में तो हमने बहुत कुछ सुन लिया है आज हम उस देश के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके नाम पर यह फिल्म बनी है।
नॉर्वे को दुनिया का सबसे खुशहाल और खूबसूरत देशों में से एक माना जाता है। यहां पुरानी परंपराओं से बनाए गए घरों की खूबसूरती देखने लायक है। कहीं ठीक झील के पास घर बना हुआ है तो कहीं घर के ऊपर ऊंचे पेड़ उगे आए हैं। यही कारण है कि लोग इस देश की ओर खींचे चले आते हैं। लोग नॉर्वे के शहर से दूर गांवों की ओर जाकर नेचुरल खूबसूरती और आर्किटेक्चर का लुत्फ उठाते हैं।
नॉर्वे में सूर्यास्त बस 40 मिनट के लिए होता है, इसलिए इस देश को लैंड ऑफ द मिडनाइट सन भी कहा जाता है। यहां के उत्तरी छोर पर स्थित हेमरफेस्ट शहर में रात के समय 12 बजकर 43 मिनट पर सिर्फ 40 मिनटों के लिए सूरज डूबता है, उसके बाद दोबारा उग जाता है।ये देश आर्किटिक सर्कल में आता है. इस वजह से मई से जुलाई के बीच करीब 76 दिनों तक यहां सूरज अस्त नहीं होता।
यहां पर रहने वाले लोग बहुत ही सिंपल और हैल्दी जिंदगी पसंद करते है। जुलाई के दौरान इस देश में जाना बेस्ट होगा, क्योंकि उस दौरान यहां सुंदर व प्राकृतिक दृश्यों का आनंद देखने को मिलता है। नार्वे सचमुच में धरती पर स्वर्ग है, यहां आपको ऐसे-ऐसे अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं, जो कहीं नहीं दिखेंगे।
कहा तो यह भी जाता है कि ये देश दुनिया के अमीर मुल्कों में शुमार हैं। यहां के लोग अपनी सेहत को लेकर बेहद सजग हैं और हेल्दी खाना पसंद करते हैं ।नार्वे में समुद्र का नजारा देखते ही बनता है. यहां के बीच से लेकर घरों से दिखने वाले सी व्यू मन में ताजगी भर देते हैं।