हमारे देश में घर बनवाते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का बहुत ध्यान रखा जाता है। वास्तु के नियमों के हिसाब से घर बनवाना और घर में वास्तु के नियमों का पालन करने से घर में सुख शांति बनी रहती है। इससे घर में धन का पर्याप्त आगमन होता है और घर में खुशहाली बनी रहती है। वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा यानी नैतृत्य कोण को यम की दिशा और साथ ही पितरों की दिशा भी मानी जाती है। जो लोग वास्तु शास्त्र में विश्वास रखते हैं तो उन्हें ये जरुर जान लेना चाहिए कि घर की दक्षिण दिशा में किन चीजों को नहीं रखना चाहिए।
तकनीकी चीजें और मशीनें
दक्षिण दिशा में इलेक्ट्रॉनिक सामान और मशीनें नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से घर की चीजें खराब होना शुरु हो जाती हैं और घर परिवार के बीच रिश्तों में भी दूरियां आने लगती हैं।
पूजा घर
मंदिर को हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए। भूलकर भी घर के मंदिर को दक्षिण दिशा में ना रखें। इससे पूजा का फल नहीं मिलता और ना ही आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
बेडरुम
दांपत्य जीवन को सही और खुशहाल बनाना है तो बेडरुम को दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। इतना ही नहीं वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार बेडरुम का बिस्तर भी दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। इससे पति-पत्नी के बीच रिश्ते खराब होते हैं और अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
रसोई घर
रसोई घर को भी दक्षिण दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। इससे घर के सदस्यों की सेहत खराब होता है और अन्न कम होने लगता है। ऐसे में धन का आगमन भी रुकता है और घर में नकारात्मकता हावी होती है।
जूते-चप्पल
जैसे की वास्तु शास्त्र में दक्षिण को पितरों की दिशा कहा गया है तो इस दिशा में जूते-चप्पल या शू रैक नहीं होना चाहिए। इससे पितरों का अपमान होता है और पितृ दोष लगने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में घर में छोटी-छोटी बातों पर कलह होती है और घर की सुख-शांति बिगड़ सकती है। इसलिए दक्षिण दिशा में शू रैक रखने से परहेज करें।
तुलसी का पौधा
दक्षिण की दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से फायदे की जगह नुकसान होगा।