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भारतीय समाज में इन 5 औरतों को माना जाता है पवित्रता व ईमानदारी की मिसाल

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 10 Jul, 2020 12:57 PM
भारतीय समाज में इन 5 औरतों को माना जाता है पवित्रता व ईमानदारी की मिसाल

भारतीय समाज में हमेशा से ही स्त्रियों को सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है। मगर, बावजूद इसके जब बात उनकी पवित्रता पर आती है तो छोटी-छोटी बातों को लेकर सवाल उठाए जाते हैं। यहां तक कि सीता माता को भी अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्नी परिक्षा से गुजरना पड़ा था। मगर, आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी स्त्रियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पवित्रता व ईमानदारी की मिसाल मानी जाती हैं।

माता सीता

भगवान श्रीराम को वनवास मिलने पर माता सीता भी उनके साथ महलों सुख, धन और वैभव को छोड़कर चली गई थी। जब रावन उन्हें जबरदस्ती उठा ले गया तो उन्हें पूरे 1 साल तक लंका में रहना पड़ा। मगर, इस दौरान उन्होंने अपनी पवित्रा को भंग नहीं होने दिया। यही नहीं, युद्ध खत्म होने के बाद उन्होंने अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्निपरीक्षा भी दी। हालांकि एक धोबी के लगे आरोप के कारण उन्हें कुछ समय बाद फिर से वनवास जाना पड़ा इसलिए माता सीता को आज भी सबसे पवित्र स्त्री माना जाता है।

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द्रौपदी

पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी को भी सबसे पवित्र कन्याओं की श्रेणी में गिनी जाती है। द्रौपदी एक मजबूत व्यक्तित्व वाली स्त्री थी। अपने पूरी जीवनकाल में उन्होंने पांडवों का साथ दिया और किसी एक पति के साथ रहने की जिद नहीं की। उन्हें पाप का विनाश करने वाली भी माना जाता है।

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देवी अहिल्या

माता अहिल्या ऋषि गौतम की पत्नी थी और बेहद सुदंर थी। एक दिन जब ऋषि गौतम स्नान के लिए गए हुए थे तब भगवान इंद्र ऋषि गौतम का रूप लेकर माता अहिल्या के साथ समय बिताने आए। तभी ऋषि गौतम घर लौट आए और माता अहिल्या व इंद्रदेव को साथ देख क्रोधित हो गए। उन्होंने देवी अहिल्या को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। मगर, असलियत में देवी अहिल्या पवित्र और ईमानदार थी। मगर, फिर भी उन्होंने पत्थर बनना स्वीकार किया। गुस्सा शांत होने पर ऋषि गौतम कहा कि जब श्रीराम देवी के चरणों को छुएंगे तो वह श्राप मुक्त हो जाएंगी। भगवान श्रीराम के चरण छुने के बाद देवी श्राप मुक्त हो गई। उस दिन के बाद से उन्हें पवित्र माना जाता है।

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देवी तारा

सुग्रीव के भाई बाली की पत्नी देवी तारा का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। भगवान विष्णु ने खुद देवी तारा का हाथ बाली को दिया था। देवी तारा बेहद समझदार थी और हर तरह की भाषा जानती थी। एक बार दोनों भाई असुरों से युद्ध के लिए निकलें लेकिन किसी कारणवश सुग्रीव ने बाली को को मरा हुआ समझ लिया और वापिस लौटकर सारा राज-पाठ व देवी तारा को संभाला। मगर, जब बाली वापिस लौटा तो उसने सुग्रीव से सबकुछ वापिस ले लिया और उसे गद्दार समझ राज्य से बाहर निकाल दिया। देवी तारा ने बाली को शांत करने की कोशिश की लेकिन वह उन्होंने उसी को छोड़ दिया। मगर, देवी तारा को आज भी सबसे पवित्र स्त्री समझा जाता है।

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मंदोदरी

रावण की पत्नी मंदोदरी बेहद सुंदर व सुशील स्त्री थी। वह रावण को हमेशा से ही सही और गलत का फर्क समझाती थी लेकिन रावण उनकी बात नहीं समझते थे। अपने शांतमई गुणों के कारण उन्हें भी कुवांरी और पवित्र स्त्री माना जाता है।

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