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कोहिनूर हीरे से लेकर पाटियाला नेकलेस  तक इन बेशकीमती भारतीय आभूषणों की बात है निराली

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 22 Oct, 2024 01:52 PM
कोहिनूर हीरे से लेकर पाटियाला नेकलेस  तक इन बेशकीमती भारतीय आभूषणों की बात है निराली

नारी डेस्क: भारतीय इतिहास में राजसी आभूषणों का विशेष स्थान रहा है, जो न केवल सौंदर्य का प्रतीक थे बल्कि उनमें देश की सांस्कृतिक धरोहर और शाही वैभव की झलक भी देखने को मिलती है। भारत के विभिन्न राजवंशों ने अपने-अपने समय में बेहद बेशकीमती और अनमोल आभूषणों का निर्माण करवाया, जिनमें से कुछ आज भी इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हैं। आइए जानते हैं भारतीय इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण और मशहूर राजसी आभूषणों के बारे में

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कोहिनूर हीरा

कोहिनूर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और बेशकीमती हीरों में से एक है। इसका वजन लगभग 105.6 कैरेट है और इसे दुनिया के सबसे बड़े और शानदार हीरों में गिना जाता है।इस हीरे का इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा है, जब यह भारत के काकतीय राजवंश के पास था। बाद में इसे मुगलों, फारसियों, अफगानों और सिखों ने हासिल किया। आखिरकार, यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे में आ गया और वर्तमान में यह ब्रिटिश क्राउन के खजाने का हिस्सा है। यह ब्रिटिश राजमुकुट में जड़ा हुआ है और लंदन के टॉवर ऑफ लंदन में प्रदर्शित है।

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निज़ाम ऑफ हैदराबाद का गहनों का खजाना

हैदराबाद के निजाम दुनिया के सबसे अमीर शासकों में से एक माने जाते थे, और उनके आभूषणों का संग्रह अद्वितीय था। इसमें अनगिनत हीरे, पन्ना, माणिक और मोती शामिल थे।  निज़ाम का प्रसिद्ध हीरा "जैकब डायमंड"(जिसे ग्रेट व्हाइट डायमंड भी कहा जाता है) था। इस हीरे का वजन 184.75 कैरेट है और इसका आकार बहुत बड़ा और सुंदर है। निजाम ने इस हीरे का उपयोग पेपरवेट के रूप में किया था, लेकिन इसकी कीमत और महत्व अतुलनीय थी।

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पाटियाला का नेकलेस

पाटियाला नेकलेस भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध और भव्य आभूषणों में से एक है। इसे पाटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1928 में कार्टियर से बनवाया था। यह हार करीब 2,930 हीरों और 7 बड़ी बर्मीज पन्नों से जड़ा हुआ था। इसमें एक 234.65 कैरेट का पीला हीरा भी था, जिसे "दे बीयर्स डायमंड" कहा जाता था। यह हार 1948 में पाटियाला महल से गायब हो गया था, लेकिन बाद में इसके कुछ हिस्से कार्टियर को मिले और उन्होंने इसे आंशिक रूप से फिर से बनाया।

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पेशवा बाजीराव का मोर-मुकुट

पेशवा बाजीराव का मोर-मुकुट (मोर का ताज) बेहद प्रसिद्ध था। यह मुकुट सोने से बना था और इसमें कई कीमती रत्न जड़े हुए थे। मुकुट के केंद्र में एक बड़ा हीरा जड़ा हुआ था, और इसके चारों ओर मोर के पंख जैसी संरचना थी, जो इसे अनोखा बनाती थी। यह मुकुट मराठा साम्राज्य की शाही शान और पेशवाओं के शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक था।

 

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गोलकुंडा के हीरे

गोलकुंडा भारत का प्रसिद्ध हीरे का खदान क्षेत्र था, जहां से सबसे कीमती हीरे निकाले गए थे। गोलकुंडा हीरे दुनियाभर में अपनी चमक और शुद्धता के लिए मशहूर थे। गोलकुंडा का *"द होप डायमंड" एक बेहद चर्चित हीरा था, जिसका नीला रंग और असाधारण चमक इसे खास बनाते थे। यह हीरा कई राजाओं और रानियों की शाही शान का हिस्सा रहा है।

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तुकोजीराव होलकर III का नेकलेस

तुकोजीराव होलकर III, जो इंदौर के महाराजा थे, ने एक बेहद भव्य और शानदार नेकलेस (हार)  पहना था, जो भारतीय राजसी आभूषणों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस अद्वितीय नेकलेस को उनकी शाही शान और वैभव का प्रतीक माना जाता है। यह नेकलेस बारीकी से तैयार किया गया था और इसमें कीमती रत्न जैसे हीरे, पन्ने, माणिक आदि का उपयोग किया गया था।  इसे बेशकीमती सोने से बनाया गया था और इसके डिजाइन में पारंपरिक भारतीय शिल्पकला और शाही ठाट-बाट की झलक थी। तुकोजीराव होलकर III का यह नेकलेस भारतीय राजसी आभूषणों में अनमोल और अद्वितीय था, और इसे शाही घरानों में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था।

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महारानी सीता देवी का Baroda pearls  हार

महारानी सीता देवी के पास एक बहुत ही शानदार मोतियों का हार था जिसे Baroda pearls के नाम से जाना जाता है। इस हार को इन्होंने कई इंटरनेशनल इवेंट्स पर पहने था। 1इसी नेकलेस में 128 कैरेट का हीरा  और 78.5 कैरेट का इंग्लिश ड्रेसडेन डायमंड भी लगा हुआ था जो इसकी खूबसूरती बढ़ा रहा था। बताया जाता है कि चमकदार हार 300 से अधिक मोतियों से बना था। भारत की स्वतंत्रता के बाद महाराजा प्रताप सिंह राव को हार बड़ौदा कोषागार को लौटाना पड़ा लेकिन इसका एक मोती गायब था। 

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