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फिल्म के चक्कर में कंगाल हो गए थे Raj Kapoor, फिर महबूबा ने अपने गहने बेचकर की थी मदद

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 08 Jan, 2024 06:42 PM
फिल्म के चक्कर में कंगाल हो गए थे Raj Kapoor, फिर महबूबा ने अपने गहने बेचकर की थी मदद

कपूर खानदान जितना बड़ा खानदान है, उतने ही बड़े इस फैमिली से जुड़े किस्से हैं। सबसे ज्यादा शोहरत राज कपूर और आगे उनके परिवार को ही मिली। राज कपूर से जुड़ा कोई भी किस्सा हो लोग जानने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं। भले ही राज कपूर के पिता पृथ्वीराज इंडस्ट्री के एक जाने माने नाम रहे लेकिन इसके बावजूद राज कपूर ने बहुत स्ट्रगल किया है। उऩ्होंनें पिता के स्टूडियो में झाड़ू लगाने का काम भी किया है। चलिए कुछ ऐसे ही किस्से आपको बताते हैं।

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बचपन से ही राज कपूर को थी थिएटर में रूचि

बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 के दिन पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था और जब बंटवारा हुआ तो उनके पिता पृथ्वीराज कपूर भारत आ गए। आगे उनकी थिएटर में रूचि थी इसलिए उन्होंने मुंबई की ओर रुख किया, आगे उनके बेटे राज कपूर ने इस विरासत को आगे बढ़ाया हालांकि पिता पृथ्वी राज को राज कपूर पर विश्वास ही नहीं था कि वो कुछ कर पाएंगे।  उन्हें लगता था कि राज कपूर कुछ खास नहीं कर पाएंगे। इसलिए वह उन्हें एक हैल्पर और क्लैपर ब्वॉय जैसे छोटे काम सौंपते थे। करियर बनाने से पहले राज कपूर अपने पिता के स्टूडियो में झाड़ू लगाने का काम करते थे। इसके लिए उन्हें हर महीने 1 रुपये मेहनताना मिलता था। 

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महज 24 साल की उम्र में किया फिल्म का निर्देशन

घर में कई कार होने के बावजूद भी राज कपूर को बचपन में भीगते हुए स्कूल जाना पड़ता था लेकिन उस समय के फेमस डायरेक्टर केदार शर्मा ने राज कपूर के अभिनय की क्षमता और लगन को पहचाना था। उन्होंने राज कपूर को अपनी फिल्म नीलकमल में हीरो का रोल दिया था, उसके बाद राज कपूर ने 24 साल की उम्र में फिल्म आग का निर्देशन किया। इस फिल्म से वह सबसे युवा फिल्म निर्देशक बनकर सामने आए। साल 1948 में उन्होंने आर.के. फिल्म्स के नाम से फिल्म स्टूडियो बनाया और उनकी पहली हिट फिल्म बरसात थी। इस फिल्म को जहां राज कपूर ने डायरेक्ट किया था, वहीं इसमें हीरोइन के रूप में थी उनकी मेहबूबा नरगिस। इस फिल्म के दौरान दोनों एक दूसरे के करीब आ गए थे।

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इस एक्ट्रेस के प्यार में हो गए थे दीवाने

इस बारे में मधु जैन ने अपनी किताब 'फर्स्ट फैमली ऑफ इंडियन सिनेमा - द कपूर्स' में भी लिखा था। नरगिस राज कपूर के प्यार में इस कद्र दीवानी थी कि वह राज कपूर की फिल्मों में पैसा भी लगाने लगी थी। एक किस्सा और भी है कि जब आरके स्टूडियो के पास पैसों की कमी हुई तो नरगिस ने अपने गहने भी बेच दिए थे। कहा जाता है कि राज कपूर परफेक्शन के लिए मशहूर थे। हर मुमकिन कोशिश की जाती, ताकि सीन राज कपूर के मन मुताबिक हो। ऐसा ही एक वाकया फिल्म ‘आवारा’ की शूटिंग के दौरान हुआ। कहा जाता है कि फिल्म का पूरा बजट 12 लाख रुपए रखा गया था लेकिन राज कपूर ने परफेक्शन के चक्कर में एक गाने की शूटिंग पर ही 8 लाख रुपये खर्च कर डाले थे। बाद में फिल्म ओवर बजट हो गई। तब नरगिस ही राज कपूर की मदद के लिए आगे आईं और उन्होंने अपने गहने बेचकर उनकी मदद की। यहां तक कि फिल्में हिट करवाने के लिए उन्होंने बिकिनी तक भी पहनी।

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13 साल तक रहे नरगिस के साथ

नरगिस ने भले ही राज कपूर के लिए अपना सब कुछ लुटा दिया हो, लेकिन पहले से शादीशुदा राज, अलग-अलग धर्म की वजह से नरगिस को अपना नहीं सके। 13 साल एक साथ रहने के बाद आखिरकार दोनों अलग हो गए। कहा जाता हैं कि नरगिस को इस बात का अंदाजा हो गया कि राज कपूर उनसे शादी नहीं करने वाले तो उन्होंने राज कपूर से दूरी बना ली और सुनील दत्त के साथ अपना घर बसा लिया। राज कपूर उस वक्त 22 साल के थे। दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन मां-बाप कतई तैयार नहीं थे। न तो नरगिस की मां जद्दनबाई को ये रिश्ता मंजूर था और न ही राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर इसके लिए तैयार थे।

धीरे-धीरे दोनों के बीच गलतफहमियां बढ़ती गई। उसी दौरान नरगिस ने साल 1957 में महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया साइन की। इस फिल्म में उनके अपोजिट सुनील दत्त थे। फिल्म की शूटिंग चल रही थी तब एक दिन सेट पर आग लग गई थी। कहते हैं कि सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर इस आग से नरगिस की जान बचाई थी। इसके बाद दोनों करीब आते गए और साल भर में दोनों ने शादी कर ली। इस तरह से राज कपूर और नरगिस का रिश्ता हमेशा-हमेशा के लिए टूट गया।
 

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