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धार्मिक यात्रा: इस बार करिये इन खूबसूरत मंदिरों की सैर, यहां से वापस आने का नहीं करेगा मन

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 19 Oct, 2022 03:23 PM
धार्मिक यात्रा: इस बार करिये इन खूबसूरत मंदिरों की सैर, यहां से वापस आने का नहीं करेगा मन

अगर आप भी भारत के  वास्तुकला (architecture) और इतिहास (history) के बारे में जानने की इच्छुक हो तो आपके जरुरत है भारत के प्रचीन मंदिरों को घुमने की। आईए जानते है भारत के इतिहास को उनके दक्षिण एशिया के 4 बड़े मंदिरों के जारिए।

बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु 

तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण राजा चोल (I) ने 1010 ईस्वी में करवाया गया था। बृहदेश्वर भगवान शिव को समर्पित यहां का प्रमुख मंदिर है जिसमें उनकी नृत्य की मुद्रा में मूर्ति स्थित है जिसको नटराज कहा जाता है। एक हजार साल पुराना यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में शामिल है, और अपने असाधारण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों की वजह से काफी प्रसिद्ध है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर को बनने के लिए 130,000 टन से अधिक ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था। यह मंदिर दक्षिण भारतीय राजाओं की स्थापत्य कौशल और आत्मीयता को दर्शाता है। 

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केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड

भारत के उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला पर स्थित केदारनाथ मंदिर भारत के सबसे प्रतिष्ठित और पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के अलावा छोटा चार धाम में भी शामिल है। केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा हजार साल पहले बनाया गया था। दिलचस्प इतिहास, आध्यात्मिक मूल्य और आकर्षक वास्तुकला केदारनाथ मंदिर की यात्रा करने के कई कारण हैं। यह मंदिर सिर्फ अप्रैल से नवंबर महीने के बीच ही दर्शन के लिए खुलता है और यहां पहुचनें के लिए आपको 14 किमी की पैदल यात्रा करनी होती है।

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खजुराहो मंदिर, मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित यह खूबसूरत मंदिर विश्व धरोहर है। इस मंदिर का नाम खजुराहो इसलिए रखा गया क्योंकि मंदिर के बीचों-बीच खजूर के पेड़ों का बगीचा है। हर साल इस मंदिर को देखने लाखों की तादाद में पर्यटक आते हैं। मंदिर की दीवारों पर बने मनमोहक कामुक मूर्तियों लोगों को आकर्षत करती हैं। आपको बता दें कि मंदिर का निर्माण 950 ईं से 1050 ईं के बीच में चंदेल राजवंश द्वारा किया गया था। वहीं खजुराहो की मूर्तियों  को इतने कुशाल तरीके से बनाया गया है की इन्हें देख के किसी भी तरीके का बुरा ख्याल मन में नहीं आता, बस मंदिर की खूबसूरती बस जाती है दिल में। यह मूर्तियों  हमारी प्रचीन सभ्यता को बहुत अच्छे से दर्शाती हैं।

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कोणार्क मंदिर, उड़ीसा

हिंदू देवता सूर्य को समर्पित कोणार्क मंदिर को ब्लैक पैगोडा नाम से भी पहचाना जाना जाता है। उसका एक यही कारण है की मंदिर का ऊंचा टॉवर काला दिखाइ देता है। 13 वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर की कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग की निपुणता का एक विशाल संगम है। गंग वंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम ने अपने शासनकाल 1243-1255 ई. के दौरान 1200 कारीगरों की मदद से कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। 

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इस मंदिर का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है। पूरे मन्दिर स्थल को बारह जोड़ी चक्रों के साथ सात घोड़ों द्वारा खींचते हुए निर्मित किया गया है, जिसमें सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है। वर्तमान समय में सात घोड़ों में से सिर्फ एक ही घोड़ा बचा हुआ है। आज जो मंदिर मौजूद है वह आंशिक रूप से ब्रिटिश भारत युग की पुरातात्विक टीमों के संरक्षण के कारण बच पाया है।

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