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गले में लगने वाली पट्टी बताएगी कोरोना होगा या नहीं!

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 05 May, 2020 05:08 PM
गले में लगने वाली पट्टी बताएगी कोरोना होगा या नहीं!

कोरोना वायरस की पहचान करने के लिए खास किट बनाई गई हैं। वहीं भारत ने कोरोना की जांच के लिए विदेशों से भी काफी टेस्ट किट मंगवाई हैं। इसी बीच दावा किया जा रहा है कि एक खास पट्टी द्वारा कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण का पता लगाया जा सकता है। यब पट्टी नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी ने डिवेलप की है, जो कोरोना के लक्षणों का पता लगाकर आपको इस बीमारी के बारे में अलर्ट करती है।

गले में लगने वाली पट्टी बताएगी कोरोना होगा या नहीं!

यह पट्टी लक्षणों का पता लगाकर बताती है कि आपको कोरोना होने वाला यह नहीं। इस पट्टी को आपके गले में चिपकाया जाता है। यह स्मार्ट पैच (पट्टी) कोरोना वायरस के लक्षण उभरने से पहले ही हेल्थकेयर स्टाफ को अलर्ट कर देती है। स्टाम्प के साइज का यह पट्टीनुमा डिवाइस सॉफ्ट सिलिकॉन मैटीरियल से बना है, जिसे गले के निचले हिस्से में लगाया जाता है। बता दें कि इस पट्टी के लिए कस्टम एल्गोरिदम को शिर्ले रेयान एबिलिटीलैब के साइंटिस्ट ने तैयार किया है।

This Stick-On Sensor Can Detect and Track COVID-19 Symptoms

बॉडी टेम्प्रेचर व हार्ट रेट करती है मॉनिटर

यह खास पट्टी खांसी-जुकाम के अलावा सांस लेने, हार्ट रेट व बॉडी टेम्प्रेचर को मॉनिटर करती है। फिर सारे डेटा को ग्राफिकल समरी फिजिशियन के पास भेजा जाता है। फिजिशियन डेटा के आधार पर रिजल्ट बताती है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी द्वारा डिवेलप की गई पट्टी को मौजूदा समय में 2 दर्जन से ज्यादा प्रभावित व्यक्ति इस्तेमाल कर रहे हैं।

वायरलेस चार्जर से होती है चार्ज

इस इलैक्ट्रिकल पट्टी तो चार्ज करने के लिए आपको वायरलेस चार्जर लगाना होता है। इसमें कोई वायर, इलेक्ट्रोड्स, चार्ज पोर्ट या रिमूवबल बैटरीज नहीं हैं इसलिए इसे नहाने के दौरान भी पहन सकते हैं।

Band-Aid style wearable gadget syncs with iPad to diagnose coronavirus

पट्टी में लगे हैं खास सेंसर

इस खास पट्टी में लगे खास सेंसर, चेस्ट वॉल मूवमेंट्स के वाइब्रेशंस को डिटेक्ट करते हैं। नॉर्थवेस्टर्न में इंजीनियर और टेक्नॉलजी डिवेलपमेंट के हेड जॉन रोजर्स का कहना है, ' रेस्परटोरी रेट, साउंड्स और एक्टिविटी ट्रैक करने के लिए हमारे डिवाइस को बॉडी में बिल्कुल परफेक्ट लोकेशन पर लगाया जाता है। इससे पहले किसी ने ऐसा डेटा कलेक्ट नहीं किया है।'

यह डिवाइस न सिर्फ बीमारी का पता लगाने में मदद करेगा बल्कि इससे रिसर्चर्स को वायरस की प्रकृति के बारे में भी जानकारी मिलती रहेगी।

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