ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी अपनी महिला डिलीवरी पार्टनर्स की सेफ्टी को लेकर अकसर कुछ ना कुछ नया कदम उठाता रहा है। अब स्विगी ने अपनी महिला डिलिवरी सहयोगियों के लिए यौन उत्पीड़न निवारण नीति शुरू की है क्योंकि ये कर्मी कार्यस्थलों पर ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए बने भारतीय कानून के दायरे में नहीं आती हैं। यानी कि अब अगर कोई ग्राहक स्विगी की महिला डिलीवरी वर्कर के साथ बदतमीजी करता है तो कंपनी उसके खिलाफ सख्त एकशन लेगी।
खाने के सामान की ऑनलाइन डिलिवरी की सुविधा प्रदान करने वाले मंच ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि इस नीति के तहत ग्राहक से उत्पीड़न के मामले में महिला डिलिवरी कर्मियों को पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने में मदद दी जाएगी। इसके अलावा आरंभिक जांच पूरी होने के बाद उस ग्राहक के पास किसी और महिला डिलिवरी सहयोगी को नहीं भेजा जाएगा। स्विगी के परिचालन प्रमुख मिहिर शाह ने इसकी जानकारी दी।
शाह का कहना है कि- ‘‘यौन उत्पीड़न निवारण नीति के तहत, समुदाय में विभिन्न हितधारकों की जवाबदेही तय करने और जागरूकता लाने के लिए हम सक्रिय कदम उठा रहे हैं। हमारा मानना है कि इन प्रयासों से घटनाओं की रोकथाम हो सकेगी और महिला डिलिवरी सहयोगी घटनाओं की जानकारी देने को प्रेरित होंगी क्योंकि उनके बीच यह भरोसा कायम होगा कि उनकी शिकायत पर कार्रवाई होगी। हमारा उद्देश्य महिलाओं को सशक्त करना है जिससे वे स्विगी के मंच पर सुरक्षित महसूस करें।''
स्विगी ने इस नीति के बारे में कहा, ‘‘अस्थायी कर्मियों (गिग वर्कर) के तौर पर काम करने वाले डिलिवरी सहायक यौन उत्पीड़न रोकथाम संबंधी भारतीय कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं। स्विगी डिलीवरी एक्जीक्यूटिव ऐप में एक एसओएस बटन होता है, जिसकी मदद से एम्बुलेंस, स्थानीय पुलिस स्टेशन या स्विगी हेल्पलाइन से संपर्क साधा जा सकता है। कंपनी का कहना है कि अगर महिला किसी क्षेत्र को अपने लिए सुरक्षित नहीं मानती हैं तो वे उस क्षेत्र में डिलीवरी करने से मना कर सकती है।
इससे पहले स्विगी ने अपनी महिला डिलीवरी पार्टनर्स के लिए मासिक पीरियड टाइम-ऑफ पॉलिसी की शुरूआत की थी। स्विगी की महिला डिलीवरी पार्टनर हर महीने दो दिनों के पेड टाइम-ऑफ का विकल्प चुन सकती हैं। मासिक भुगतान टाइम-ऑफ का विकल्प चुनने वालों को न्यूनतम कमाई की गारंटी मिलेगी।