कौन कहते हैं कि छोटे शहर की लड़कियां कुछ कर के नहीं दिखा सकती। उनमें एक ललक होती है कुछ अलग कर के दिखाने की। वो मेट्रो की गर्ल्स से अलग होती है, उनके संसाधनों, पढ़ाई-लिखाई और शहर लाइफस्टाइल में जमीन आसमान का फर्क होता है। लेकिन उनकी कुछ कर दिखाने की चाह में और खुद को साबित करने के लिए वो मुश्किल से मुश्किल राह भी पार करती हैं। आईएएस अंकिता चौधरी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। रोहतक जिले के छोटे से शहर महम की रहने वाली अंकिता एक आम लोअर मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लकु रखती हैं। उनके पापा एक चीनी की मिल में अकांउंटेट का काम करते हैं। अंकिता शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थी। उन्हें 10वीं तक अपनी पढ़ाई रोहतक के इंडस पब्लिक स्कूल से की। उनका हमेशा से सपना पढ़ कर अपने पैरों पर खड़ा होने का था। 12वीं तक अंकिता ने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन की और आईआईटी दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद में यूपीएससी परीक्षा की भी तैयारी शुरू कर दी।
पहले अटेंप्ट में हुई फेल
अंकिता ने 2017 में यूपीएससी परीक्षा का पहला अटेंप्ट दिया, लेकिन अफसोस वो असफल रहीं। उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी गलतियों को जानकर नए तरीके से परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था। एक हादसे में उनकी मां चल बसी, जिससे वो पूरी तरह से टूट गईं। लेकिन इस दुख की घड़ी में उसके पिता ने उसका बहुत साथ दिया और आगे बढ़ने का हौसला भी दिया। आखिरकार अंकिता की मेहनत और दृढ़ निश्चय रंग लाया और 2018 में 14वीं रैंक हासिल कर वो आईएएस अफसर बन गईं।
सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं अंकिता चौधरी
आईएएस अंकिता फिलहाल सोनीपत में एडीसी के पद पर कार्यरत हैं। यूपीएससी परीक्षा में उनका ऑप्शनल विषय पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था। वो ट्विटर पर काफी एक्टिव रहती हैं। सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर उनके करीब 24 हजार फॉलोअर्स भी हैं। अंकिता का मानना है कि आईएएस अफसर बनकर उन्होंने अपनी मां को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।