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हिम्मतवाली द्रौपदी मुर्मू के संघर्ष और जज्बे की कहानी, राष्ट्रपति बनने से पहले दुखों से भरा रहा जीवन

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 20 Jun, 2023 12:52 PM
हिम्मतवाली द्रौपदी मुर्मू के संघर्ष और जज्बे की कहानी, राष्ट्रपति बनने से पहले दुखों से भरा रहा जीवन

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज अपना 65वां जन्‍मदिन मना रही हैं। ओडिशा की रहने वाली 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति हैं। वह  इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। इतना ही नहीं उन्होंने  राष्ट्रपति का पद संभालने से पहले  पांच कीर्तिमान अपने नाम लिखवा दिए थे, जो इस प्रकार हैं- 

 

द्रौपदी मुर्मू के 5  महा रिकॉर्ड

-मुर्मू आजाद भारत में जन्म लेने वाली पहली ऐसी नेता हैं जो देश की राष्ट्रपति बनी।

-वह  सर्वोच्च संवैधानिक पद पर काबिज होने वाली सबसे युवा राष्ट्रपति हैं 

-भारत के इतिहास में पहली बार आदिवासी महिला ने संभाला राष्ट्रपति पद की कमान

-द्रौपदी मुर्मू पहली ऐसी राष्ट्रपति हैं, जो ओड़िसा से हैं।

- पहली बार कोई पार्षद राष्ट्रपति का चुनाव जीतने में रहा कामयाब। 

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कुछ ऐसा है राष्ट्रपति का राजनीतिक सफर 

मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। उनसे पहले देश में अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं वो सब के सब 15 अगस्त 1947 से पहले के पैदा हुए नेता हैं। रायरंगपुर से ही मुर्मू ने भाजपा की सीढ़ी पर पहला कदम रखा था। वह 1997 में स्थानीय अधिसूचित क्षेत्र परिषद में पार्षद बनी थीं और 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं। वर्ष 2015 में, उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2021 तक इस पद पर रहीं। 

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चमक दमक से दूर रहती हैं मुर्मू 

चमक दमक और प्रचार से दूर रहने वाली मुर्मू ब्रह्मकुमारियों की ध्यान तकनीकों की गहन अभ्यासी हैं। उन्होंने गहन अध्यात्म और चिंतन का दामन उस वक्त थामा था, जब उन्होंने 2009 से लेकर 2015 तक की छह वर्षों की अवधि में अपने पति, दो बेटों, मां और भाई को खो दिया था। देश के अब तक 14 राष्ट्रपतियों में से 7 के सम्बन्ध साउथ से रहे हैं लेकिन द्रौपदी मुर्मू पहली ऐसी राष्ट्रपति हैं, जो ओड़िसा से हैं। 

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तीन बच्चों को खो चुकी हैं द्रौपदी मुर्मू 

द्रौपदी मुर्मू ने आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया है और पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात श्यामाचरण मुर्मू से हुई थी। कड़े संघर्ष के बाद दोनों शादी के बंधन में बंधे ।शादी के बाद द्रौपदी और श्याम के 4 बच्चे हुए 2 बेटे और 2 बेटियां लेकिन आज सिर्फ एक बेटी ही जिंदा है। उनकी पहली बेटी जब 3 साल की थी तभी उसकी मौत हो गई। रिपोर्ट्स की माने तो साल 2009 में द्रौपदी के 25 वर्षीय बेटे लक्ष्मण मुर्मू का निधन हो गया था। लक्ष्मण मुर्मू घर में बेसुध हालात में मिले थे और अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एक जवान बेटे के गम से द्रौपदी अभी उबर नहीं पाई थी कि उनका दूसरा बेटा दुनिया से चल बसा।

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आंखें दान करना चाहती है राष्ट्रपति

अभी बेटों के गम से द्रौपदी उभरी नहीं थी कि उनके पति साल 2014 में इस दुनिया को अलविदा कह गए। श्याम की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई थी। 2 जवान बेटों और पति की मौत से द्रौपदी पूरी तरह से टूट गई थी। वक्त के साथ उन्होंने खुद को संभाला और अपना ध्यान योग की तरफ लगाया। कहा जाता है कि द्रौपदी ने अपने पहाड़पुर वाले घर को स्कूल में तब्दील करवा दिया जिसमें आज बच्चे पढ़ाई करते है। वहां पर वो अक्सर अपने बेटों और पति की पुण्यतिथि पर जाती है। द्रौपदी ने एक कार्यक्रम में अपनी आंखें दान करने का ऐलान भी कर चुकी हैं

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