भारत में इस वक्त फ्लू यानी कि स्प्रिंग इन्फ्लूएंजा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसमें लगातार खांसी आने की शिकयत रहती है। इन्फ्लूएंजा के चपेट में आए व्यक्ति को कई हफ्तों तक खांसी की समस्या रह सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन्फ्लूएंजा के इंजेक्शन को लेकर कम जागरुकता के चलते इसके मामले देश भर में बढ़ते जा रहे हैं, जबकि स्वास्थय विशेषज्ञों का मानना है कि व्यक्ति को हर साल इन्फ्लूएंजा का इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
कोरोना के मुकाबले इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़े
एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रहने वाली लक्षणों के साथ देश भर में इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिसके चलते वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है। जबकि देश भर में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। गले में खराश होना, खाना निगलने पर दर्द होना, तेज बुखार और टॉन्सिल में सूजन होना इन्फ्लूएंजा के लक्षण हैं। भारत में, इन्फ्लूएंजा के टीके, या फ्लू शॉट्स जिन्हें हर साल लगवाने की जरुरत होती है। लेकिन जागरूकता कम होने के चलते इसे एक आम बीमारी मानकर चलते हैं।
खांसी, सांस फूलना हैं इन्फ्लूएंजा के लक्षण
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले दो महीनों में इन्फ्लुएंजा के संक्रमण में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। उनका कहना है कि हर दूसरा व्यक्ति बुखार, खांसी, आवाज की कमी और सांस फूलने की समस्या से जूझ रहा है। बिना घरघराहट के या घरघराहट के साथ लगातार खांसी आना भी इंफ्लुएंजा का लक्षण है।
कारण
स्प्रिंग इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है जो नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित करता है। जब बीमार लोग खांसी, छींक या बात करें, श्वसन कण हवा में छोड़े जाते हैं और आसपास के व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं। दूषित हाथों से होंठ, आंख या नाक को छूने से भी व्यक्ति फ्लू की चपेट में आ सकता है।
किन लोगों को रहता है ज्यादा खतरा ?
फ्लू वैसे तो सभी उम्र के लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन 65 साल से ज्यादा के बुजुर्ग, अस्थमा, डायबिटीज, प्रेग्नेंट महिलाएं, हार्ट डिजीज, और 5 साल से कम उम्र के बच्चों का फ्लू का खतरा ज्यादा रहता है। इन लोगों में निमोनिया होने के चांसेस ज्यादा होते हैं।
क्या है इलाज ?
इसका सिंपल इलाज है पैरासिटामोल और सर्दी खांसी की गोली जो आप मेडिकल स्टोर से खरीद कर खा सकते हैं। अगर इसके बाद भी बुखार ठीक न हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार देश में फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी सितंबर और जनवरी के बीच होती है। कई क्षेत्रों में इस तरह के संक्रमण आमतौर पर महामापी के दौरान देखे गई। इसी बीच इन्फ्लुएंजा A(H1N1)pdm09, A(H3N2) और इन्फ्लुएंजा B वायरस प्रसारित हुए, हालांकि इनके अनुपात देशों में अलग-अलग थे। ज्यादातर देशों में, इन्फ्लूएंजा ए वायरस के मामले इन्फ्लूएंजा बी से ज्यादा हैं। बता दें कि जापान में भी इस वक्त इंफ्लुएंजा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।