कल यानी 1 अगस्त को आसमान में कुछ ऐसा नजारा दिखा जिसे हर कोई देखता ही रह गया है। बीते दिन आसमान में चांद कुछ ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखा है ऐसे चांद को सूपरमून कहते हैं। सूपरमून तब होता है जब चांद पृथ्वी का चक्कर लगाता हुआ एकदम पास आ जाए। वहीं इसी दौरान पूर्णिमा भी रही। लेकिन यह महीना सूपरमून के लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस महीने में दो सूपरमून दिखाई देंगे। लेकिन यह क्यों दिखते हैं और बाकी चांद से कैसे अलग होते हैं आज आपको इसके बारे में बताते हैं....
आखिर क्यों होता है सूपरमून?
सूपरमून शब्द 1979 में खगोलविद रिचर्ड नोल ने दिया था। यह शब्द उस बिंदू को दिखाने के लिए बनाया गया था जब पूर्णिमा के दौरान चांद पृथ्वी के सबसे पात था। परंतु चांद दूर या नजदीक कैसे हो सकता है? तो आपको बता दें कि चांद हमारी पृथ्वी का चक्कर लगाता है परंतु यह पूरी तरह गोल नहीं बल्कि अंडाकार होता है। इस कारण चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी बदलती रहती है। वहीं बीते दिन रिपोर्ट्स की मानें तो चांद पृथ्वी से करीबन 357,530 किमी दूरी पर स्थित था। वहीं पृथ्वी से चांद की दूरी 3.6 लाख किमी से 4 लाख किमी तक बदलती ही रहती है।
इस दिन दिखेगा ब्लू मून
जैसा आपको बताया कि इस बार दो सूपरमून दिखेंगे। जिनमें से एक पहले कल था और अगला 1 अगस्त को दिखने वाला है। वहीं 30 अगस्त को दिखने वाला सूपरमून बाकी अन्य मून के मुकाबले ज्यादा बड़ा होगा और धरती के काफी पास होगा। ऐसे में आप इसका रंग भी आसानी से देख सकते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो इस दिन पृथ्वी के चारों और चंद्रमा की कक्षा लगभग 5 डिग्री के कोण पर झुकी होती है। वहीं एक्सपर्टस के अनुसार, हर तीन साल में यह एक बार ही दिखाई देता है इससे पहले यह साल 2021 में नजर आया था और अब यह 2026 में दिखेगा।
इस दिन लगेगा चंद्रग्रहण
चांद पृथ्वी पर समुद्र में लहरों को कम ज्यादा करता है। नासा के अनुसार, सूपरमून के दौरान समुद्री लहरों की तीव्रता बढ़ सकती है। हालांकि चांद से जुड़ी खगोलिय घटना को ही चंद्रग्रहण कहते हैं। वहीं साल 2023 में 2 चंद्रग्रहण होगा। पहला चंद्रग्रहण 5 मई को दिखा था वहीं अगला चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर को दिखेगा।