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Sri Guru Tegh Bahadur Jayanti: धर्म की रक्षा के लिए शीश कटवाने वाले सिखों के 9वें गुरु, जानें उनकी ज

  • Edited By Bhawna sharma,
  • Updated: 01 May, 2021 02:17 PM
Sri Guru Tegh Bahadur Jayanti: धर्म की रक्षा के लिए शीश कटवाने वाले सिखों के 9वें गुरु, जानें उनकी ज

सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी का आज 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। ''हिंद दी चादर'' माने जाने वाले गुरू साहिब जी का सारा जीवन दूसरों के दुख दूर करने में समर्पित था। विश्व इतिहास में धर्म व मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांत की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है। आज इस आर्टिकल में हम आपको श्री गुरू तेग बहादुर जी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे।

गुरु तेग बहादुर जी का बचपन

श्री गुरु तेग बहादुर जी का जन्म अमृतसर के हरगोबिंद साहिब जी के घर वैशाख पंचमी संवत 1678 में हुआ था। गुरु तेग बहादुर जी ने आनंदपुर का निर्माण करवाया था। वह बचपन से ही वीर थे, उन्होंने 14 साल की उम्र में अपने पिता का साथ दिया और मुगलों को धूल चटाई थी। 

गुरु तेग बहादुर जी की जीवनी

गुरु साहिब ने कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाने का विरोध किया था। इस्लाम स्वीकार न करने के कारण 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा पर गुरु साहब ने इंकार करते कहा कि सीस कटा सकते है केश नहीं। मुग्ल शासक औरंगजेब बेहद जालिम शासक था। उसने गुरु साहिब के इंकार करने पर उनकी शीश यानि धड़ कलम करने का हुकुम जारी कर दिया। गुरु तेग बहादुर की याद में ही दिल्ली में शीशगंज गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है। 

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गुरु साहिब का धर्म प्रचार

गुरुजी ने धर्म के प्रचार-प्रसार व लोक कल्याणकारी कार्य के लिए कई स्थानों का भ्रमण किया और धर्म के सत्य मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। उन्होंने लोगों के आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक के लिए कई रचनात्मक कार्य किए। सामाजिक स्तर पर चली आ रही रूढ़ियों, अंधविश्वासों की कटु आलोचना कर नए सहज जनकल्याणकारी आदर्श स्थापित किए।

गुरु तेग बहादुर से मिलती है ये शिक्षा

गुरु तेग बहादुर जी बहुत कम बोला करते थे। गुरू साहिब के केवल एक ही पुत्र थे, जो आगे चलकर सिक्खों के दसवें गुरू बने। अपने पिता जी की तरह गुरू गोबिंद सिंह जी ने भी कभी किसी की गलत बात को नहीं सहा। उन्होंने हर गलत इंसान के खिलाफ आवाज उठाई। गुरू तेग बहादुर जी की कुरबानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भले हमारे प्राण चलें जाएं, मगर अपने और दुनिया के साथ हो रहे जुल्म के खिलाफ हमें आवाज जरूर उठानी चाहिए, फिर चाहे उसके लिए हमें अपनी जान की बाजी लगा देनी पड़े।

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