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शनि प्रदोष व्रत 2025: नए साल का पहला प्रदोष व्रत, शिव और शनि देव की कृपा पाने का खास मौका

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 09 Jan, 2025 11:30 AM
शनि प्रदोष व्रत 2025: नए साल का पहला प्रदोष व्रत, शिव और शनि देव की कृपा पाने का खास मौका

नारी डेस्क: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाने वाला खास व्रत है। यह व्रत हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। 2025 में नए साल का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को पड़ेगा और इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। इस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव को भी प्रसन्न किया जा सकता है।

शनि प्रदोष व्रत की तिथि और समय (Shani Pradosh Vrat 2025 Date & Time)

ज्योतिष के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 11 जनवरी 2025 को सुबह 08:21 बजे से होगी और इसका समापन 12 जनवरी को सुबह 06:33 बजे पर होगा। व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है, जो 11 जनवरी को है। इसलिए यह व्रत उसी दिन रखा जाएगा।

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इस दिन के शुभ योग (Shani Pradosh Vrat Shubh Yog)

11 जनवरी 2025 को शनि प्रदोष व्रत पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सुबह से दोपहर तक सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का निर्माण होगा। यह योग इसे और भी अधिक फलदायी बनाते हैं।

कैसे करें शनि प्रदोष व्रत की पूजा?

शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए:

सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, अक्षत, और गंगाजल चढ़ाएं। शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव की आरती करें। शिवजी की पूजा के बाद शनि देव की पूजा करें। जिनकी कुंडली में शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या है, वे शनि शांति के लिए पीपल वृक्ष को जल चढ़ाएं। जल में तिल, उड़द और अक्षत मिलाएं। इसके बाद पीपल के नीचे दीपक जलाएं।

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शनि प्रदोष व्रत का महत्व

शनि प्रदोष व्रत धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिव और शनि देव को प्रसन्न करने से जीवन की हर बाधा दूर हो जाती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जिन पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव है, उनके लिए यह व्रत विशेष लाभकारी होता है।

नए साल का खास मौका

11 जनवरी 2025 का शनि प्रदोष व्रत, नए साल का पहला प्रदोष व्रत है। यह शिव और शनि देव की कृपा पाने का उत्तम समय है। श्रद्धालु इस व्रत को रखकर अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं और शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
 
 

 

 

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