23 DECMONDAY2024 3:31:59 AM
Nari

बीमार पति और लोगों के ताने नहीं तोड़ पाए रेखा का हौसला, यूं बनीं वो उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 15 Apr, 2023 12:01 PM
बीमार पति और लोगों के ताने नहीं तोड़ पाए रेखा का हौसला, यूं बनीं वो उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर

 जीवन में  कठिन परिस्थितयों का सामना तो हर किसी को कभी न कभी करना ही पड़ता है, लेकिन सफल वो ही होता हैं जो ऐसी परिस्थित में हार ना मानें और आगे बढ़ते रहें। फिर चाहे वो महिला ही क्यों न हो। अक्सर महिलाओं को कमजोर, पिता या पति पर निर्भर रहने वाला माना जाता है। लेकिन सच इसे काफी अलग है। आज की महिलाओं में बदलाव आया है और ऐसा ही एक बदलाव उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड की रेखा लोहनी पांडे ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। यह महिला कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। आइए हम भी नजर डालते हैं रेखा की संघर्ष और सफलता की कहानी पर एक नजर..

PunjabKesari

कौन है रेखा लोहनी पांडे

रेखा उत्तराखंड की रहने वाली हैं। रेखा के नाम एक उपलब्धि जुड़ गई है, जिसके कारण परिवहन मंत्री चंदन रामदास तक ने उनकी तारीफ की है। इन दिनों वो उत्तराखंड की स्टार बन चुकी हैं। बता दें कि रेखा उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर हैं। एक तरफ जहां  महिलाओं की ड्राइविंग  पर शक किया जाता रहा है और उन्हें खराब ड्राइबर करार दिया गया है, वहीं रेखा सब की दकियानूसी सोच की पवाह किए बगैरह उत्तराखंड के पहाड़ों में टैक्सी चला रही है। वो ऐसा काम तब कर रही हैं जब वो शिक्षित हैं एमए-एलएलबी पास कर चुकी हैं, फिर भी  बिना किसी शर्म के उन्होंने इस पेशे को अपनाया क्योंकि उनके हिसाब से कोई काम छोटा नहीं है। इस तरह से वो लोगों की सोच को बदलने में बड़ा योगदान दे रही हैं।

PunjabKesari

इस वजह से चलानी शुरु की टैक्सी

रेखा का घर रानीखेत में है, जहां वह अपने पति और तीन बेटियों के साथ रहती  हैं। रेखा के पति का नाम मुकेश चंद्र पांडे है, जो कि एक रिटायर्ड फौजी हैं।  सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन इसी बीच उनके पति की तबीयत खराब हो गई और उन्हें टैक्सी ड्राइवर के तौर पर काम करना पड़ा। पहले ये काम उनके पति कर रहे थे। अचानक उनकी तबीयत खराब हुई तो टैक्सी चलाने के लिए एक ड्राइवर को रख लिया गया लेकिन इससे उन्हें काम में नुकसान होने लगा। बाद में रेखा ने परिवार को संभालने और पति की मदद के लिए खुद ही स्टेयरिंग संभाल लिया। पहले तो रेखा को बहुत से मुश्किलें आई। पति की देखरेख, बच्चों को संभालने के साथ ही दिनभर घर से बाहर रहकर काम करना आसान नहीं था। रिश्तेदारों और लोगों की बातें भी सुननी पड़ी लेकिन उनका मनोबल कमजोर नहीं हुआ। आज उनकी हिम्मत की तारीफ हो रही है। परिवहन मंत्री तक ने उन्हें फोन करके उनके हौसले की तारीफ की और साथ ही मदद करने का वादा भी किया। रेखा की कहानी लोगों के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है और परिस्थितियों के सामने घुटने न टेकने का संदेश देती है। 

PunjabKesari

Related News