04 NOVMONDAY2024 11:57:59 PM
Nari

पिता चलाते थे घोड़ा-गाड़ी, कोच ने दिए जूते, अब हॉकी खेल नाम रोशन कर रही रानी

  • Edited By Bhawna sharma,
  • Updated: 06 Sep, 2020 01:21 PM
पिता चलाते थे घोड़ा-गाड़ी, कोच ने दिए जूते, अब हॉकी खेल नाम रोशन कर रही रानी

भारतीय हाॅकी के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब महिला हाॅकी टीम की किसी खिलाड़ी को खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान 'राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' दिया जाएगा। भारतीय महिला हाॅकी टीम की कप्तान रानी रामपाल यह सम्मान पाने वाली देश की पहली हाॅकी खिलाड़ी बन गई हैं। इस सम्मान के लिए उनका चयन होने पर रानी का कहना है कि यह उनके परिवार के लिए गर्व का पल है क्योंकि जब आपकी मेहनत को सम्मान मिलता है तो शानदार एहसास होता है।

PunjabKesari 

पिता चलाते थे घोड़ा गाड़ी

हरियाणा के शाहाबाद मारकंडा में 4 दिसंबर 1994 को जन्मी रानी के पिता रामपाल घोड़ा गाड़ी चलाकर और ईटें बेचकर परिवार का गुजारा किया करते थे। वह दिनभर में बड़ी मुश्किल से केवल सौ रुपए तक ही कमा पाते थे। रानी जब 6 साल की उम्र में स्कूल के रास्ते में आने वाले खेल के मैदान में लड़कों को हाॅकी खेलते देखती थी उनका भी हाॅकी खेलने का मन करता था। जब रानी ने अपने पिता से हाॅकी खेलने की बात कही थो तो उन्होंने मन कर दिया था। इसके पीछे का करण ये था कि उस समय लड़कियों का हाॅकी खेलना समाज में अजीब समझा जाता था। लेकिन रानी अपनी जिद पर अड़ी रही। आखिरकार पिता को उनकी बात माननी पड़ी। हालांकि समाज और रिश्तेदारों ने उनके इस फैसले का विरोध किया लेकिन रानी के पिता ने किसी की नहीं सुनी। 

रंग लाई मेहनत

जब रानी शाहाबाद हाॅकी अकादमीं में दाखिला लेने पहुंची तो गुरु द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित कोच बलदेव सिंह ने उन्हें दाखिला देने से मन कर दिया था। लेकिन जब उन्होंने रानी का खेल देखा तो वह अकादमी में उन्हें दाखिला देने के लिए राजी हो गए। परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं होने के चलते उनके पास कोचिंग के पैसे नहीं थे। जिस वजह से रानी ने कई बार कोचिंग छोड़ने के बारे में सोचा। लेकिन उनके कोच बलदेव सिंह और सीनियर खिलाड़ियों ने ट्रेनिंग में रानी का पूरा सहयोग किया।

PunjabKesari

कोच ने खरीद कर दिए थे हाॅकी किट और जूते 

रानी के कोच बलदेव सिंह ने उन्हें हाॅकी किट और जूते खरीद कर दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने चंडीगढ़ में ट्रेनिंग के दौरान अपने घर में रानी के रहने की व्यवस्था की। आखिरकार रानी की मेहनत रंग लाई और 15 साल की उम्र में उन्हें भारतीय हाॅकी टीम में खेलने का मौका मिला। 

खेल चुकी हैं 200 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच 

रानी साल 2009 से लेकर अब तक 200 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुकी हैं। वह कई पुराने रिकाॅर्ड तोड़ते हुए बहुत सारे नए रिकाॅर्ड अपने नाम कर चुकी हैं। इसी साल 30 जनवरी को रानी विश्व की पहली ऐसी खिलाड़ी बन गई जिसे 'वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर' का अवार्ड मिला। साल 2016 में रानी को 'अर्जुन पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया है। वहीं इसी साल उन्हें 'पद्मश्री' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

PunjabKesari

Related News