रेबीज एक वायरल इंफेक्शन है जो लायसावायरस के कारण होता है। इससे व्यक्ति की जान तक जा सकती है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि सिर्फ कुत्ते का काटने से रेबीज होता है जबकि ऐसा नहीं है। बिल्ला और बंदर के काटने से भी यह वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है। यही नहीं, संक्रमित जानवर का चाटने या जानवर की लार सया खून के संपर्क में आने भी यह वायरस शरीर में जा सकता है। शोध की मानें तो रेबीज के कारण जान जाने की सबसे वजह है लक्षणों की पहचान समय पर ना कर पाना। ऐसे में आज विश्व रेबीज डे के मौके पर हम आपको बताएंगे कि कैसे करें इस खतरनाक वायरस से बचाव।
किन जानवरों के काटने से फैलती है बीमारी?
रेबीज के विषाणु 0.0008 मि.मी लंबे और 0.00007 मि.ली व्यास वाले होते है। शोध के मानें तो जानवर के काटने से 95-96% मामलों में रेबीज जरूर होता है, जो रेबीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर, नेवले, सियार, चमगादड़ व अन्य जानवरों के काटने से हो सकती है। हैरानी की बात तो यह है कि इलाज होने के बावजूद इसके कारण भारत में हर साल करीब 20,000 लोग अपनी जान गवां बैठते हैं।
जानवर को जलाना आवश्यक
कुत्ते और बिल्लियों में इस वायरस के लक्षण 1 हफ्ते से 1 साल के अंदर नजर आते हैं। हालांकि 90% मामलों में रेबीज के लक्षण 30-90 दिन में दिखते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते है। गंभीर स्थिति होने के बाद 10 दिन के अंदर ही जानवर की मौत हो जाती है। रेबीज से ग्रस्त जानवर को जला दिया जाता है फिर इसको परीक्षण के लिए भेज दिया जाता है।
कैसे प्रभावित करता है रेबीज?
रेबीज वायरस ये वायरस न्यूरोमस्कुलर जंक्शन के द्वारा नर्वस सिस्टम, फिर मसल्स टिशूज से इम्यूनिटी को कमजोर करता है। इसके बाद धीरे-धीरे यह वायरस मस्तिष्क तक पहुंच जाता है।
रेबीज के लक्षण
. तेज बुखार और सिरदर्द
. घबराहट, बेचैनी या टेंशन
. भ्रम की स्थिति
. खाना-पीना निगलने में दिक्कत
. अधिक लार निकलना
. पानी से डर लगना (हाईड्रोफोबिया)
. पागलपन या अनिद्रा की समस्या
. पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना
. इससे दिमाग में सूजन आ सकती है, जिससे व्यक्ति कोमा में जा सकती है। वहीं, कई मामलों में व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
जानवर के काटने पर क्या करें?
• किसी भी जानवर के काटने पर काटने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उससे पहले घाव को डेटॉल और बहते पानी से तुरंत धोकर अवेलेबल डिसइनफेक्टेंट( आयोडीन/ स्पिरिट/एल्कोहल या घरेलू एंटीसेप्टिक) लगाएं।
• घाव धोने के बाद एंटीसेप्टिक क्रीम, लोशन, डेटाल, स्प्रिट, बीटाडीन लगाएं। घाव खुला छोड़ दें, अधिक रक्त स्त्राव होने पर साफ पट्टी बांध लें लेकिन टांके न लगवाएं।
• जिस जानवर ने काटा हो उस पर 10 दिन तक निगरानी रखें। अगर वह जिंदा है तो समझ लें कि संक्रमण का खतरा नहीं है।
72 घंटे के अंदर लगाएं वैक्सीन
किसी जानवर के काटने के 72 घंटे के अंदर इलाज करवाएं, नहीं तो आपको फायदा नहीं मिलेगा। 72 घंटे के अंदर वैक्सीन या एआरवी का टीका लगवाना ना भूलें।
ध्यान रखें कि अगर घर में पालतू जानवर पाल रखे हैं तो उन्हें टाइप पर इंजेक्शन लगवाएं और उनकी साफ-सफाई का खास ख्याल रखें।