पीटी उषा खेल की दुनिया में एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने हिंदुस्तान में एक महिला होने की सभी सामाजिक बंदिशों को तोड़ा। वो भारत की महान खिलाड़ियों में से एक मानी जाती हैं। पीटी उषा, न केवल खिलाड़ियों की कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं, बल्कि वो आज भी कई युवा एथलीटों के करियर को संवारने में अहम भूमिका निभा रही हैं। आज World Athletics Day पर नजर डालते हैं उनके जीवन और करियर पर नजदीक से....
पय्योली में बीता पीटी उषा का बचपन
पीटी उषा का शुरुआती जीवन केरल के गांव पय्योली में बीता , इसे के चलते बाद में उन्हें पय्योली एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाने लगा। उन्होंने दौड़ने की शुरुआत तब से की थी, जब वो चौथी कक्षा में पढ़ती थीं। उनके पीटी के टीचर ने उन्हें जिले की चैंपियन से मुकाबला करने को कहा। उषा ने रेस में जिला चैंपियन को भी हरा दिया था। अगले कुछ सालों तक वो अपने स्कूल के लिए जिला स्तर के मुकाबले जीतती रही। लेकिन, पीटी उषा का असल करियर तो 13 साल की उम्र में शुरू हुआ, जब उन्होंने केरल सरकार द्वारा लड़कियों के लिए शुरू किए गए स्पोर्ट्स डिविजन में दाखिला लिया था। एक स्कूल सेरेमनी में जब ओ॰ ऍम॰ नम्बियार ने उषा को दौड़ते हुए देखा तो उन्होंने उषा को कोचिंग देने की सोची। नम्बियार ने उषा पर कड़ी मेहनत की और उन्हें इस खेल के लिए तैयार किया। धीरे-धीरे उन्होंने एथलीट मीट में हिस्सा लेना शुरू किया जिसमें उन्हें हर मैच में जीत हासिल हुई। अपनी अंतराष्ट्रीय खेल की जर्नी उषा ने 1980 में शुरू की, लेकिन वहां उन्हें हार मिली मगर इस असफलता से वह घबराई नहीं और लगातार खुद पर काम करती गई ।
एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत किया देश का नाम रोशन
1982 में नई दिल्ली में हुए एशियन गेम्स ने उन्हें और भी मशहूर कर दिया जहां उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर में सिल्वर मेडल जीता। 1985 में पीटी उषा ने जकारता एशियन में पांच गोल्ड मैडल जीते, तो उन्हे ट्रेक एंड फील्ड की कवीन कहा जाने लगा। उनकी उपलब्धियां यही खत्म नही हुइ , बल्कि उषा ने 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर , 400 मीटर हर्डल ,400 मीटर Relay रेस, में पहला स्थान हासिल किया।
Sports Person Of the Century का भी मिल चुका है खिताब
अपने स्पोर्टस करियर में उषा 100 से भी ज्यादा नेशनल और इंटरनेशनल मेडल जीत चुकी है। एशियन चैम्पीयनशिप में उन्होंने 101 गोल्ड मेडल और 13 इंटरनेशल मेडल जीते है। बहतरीन प्रदर्शन के लिए उषा को अर्जुन अवॉर्ड और साल 1984 में पदम श्री से भी नवाजा गया । 1985 में उन्हें जकारता एशियन मीट में बेस्ट वुमेन एथलीट का दर्जा दिया गया। पीटी उषा को Sports Person Of the Century का खिताब भी मिल चुका है। वो आज भी खिलाड़यों को देश का नाम रोशन करने के लिए प्रोत्साहित करती रहती है। कभी पिछले साल PT Usha भारतीय ओलंपिक संघ की पहली महिला अध्यक्ष बनकर और एक उपलब्धि अपने नाम कर ली है।