प्रैगनेंसी का वैसे तो हर महीना ही खास होता है लेकिन आज हम सिर्फ नौवेंं महीने की बात करेंगे। इस आखिरी महीने में महिलाएं काफी थका हुआ भी महसूस करती है क्योंकि बच्चे का वजन बढ़ जाता है। नौवें महीने के दौरान कुछ महिलाएं अपने बच्चे के स्वागत की तैयारियों में जुट जाती हैं जबकि कुछ के मन में डिलीवरी को लेकर डर बना रहता है। इस आखिरी महीने में गर्भवती को कुछ बातों का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी है जिसके बारे में आज आपको इस आर्टिकल में बताएंगे...
तनाव है खतरनाक इसलिए इससे रहें दूर
तनाव लेना प्रैग्नेंसी के किसी भी माह अच्छा नहीं माना जाता। हैल्दी और हैपी प्रैगनेंसी जीएंगे तो आपके भ्रूण में पल रहा बच्चा कई तरह के मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बच सकता है। वहीं, अगर आप नौंवे महीने में तनाव लेते हैं तो डिलिवरी टाइम कॉम्प्लीकेशन हो सकते हैं इसलिए पॉजिटिव रहें और अपने मनपसंद काम करें जिससे आपको खुशी महसूस हो। इसके लिए पॉजिटिव रहें, हैल्दी डाइट खाएं और म्यूजिक सुनें। प्रेगनेंट महिलाओं के लिए ब्रीदिंग ट्रिक्स सीखना बहुत ही जरूरी है।
गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या-क्या लक्षण नजर आते हैं?
. इस महीने स्तनों से पीले रंग का स्राव होने लगता है, जिसे ‘कोलोस्ट्रोम’ कहते हैं। कई महिलाओं में यह लक्षण नौवें महीने में ज्यादा बढ़ जाता है।
. इस महीने शिशु का विकास पूरी तरह हो जाता है जिसके चलते बार-बार यूरिन आने लगता है। हालांकि यह सामान्य बात ही है क्योंकि इससे ब्लैडर पर प्रैशर पड़ता है।
. ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन की समस्या भी अंत में होने लगती है। ये प्रसव पीड़ा जितने तीव्र नहीं होते और न ही ज्यादा पीड़ादायक होते हैं लेकिन अगर ये 1 घंटे में 4 बार से ज्यादा हो तो डाक्टरी सलाह जरूर लें।
. डिलीवरी के कुछ हफ्ते पहले आपको सीने में जलन व सांस लेने की तकलीफ से आपको राहत मिल जएगा क्योंकि इस दौरान शिशु जन्म के लिए अपनी स्थिति ले लेता है और नीचे की ओर आ जाता है।
. बच्चे की एक्टिविटी में अंतर आएगा। आखिरी दिनों तक शिशु का विकास पूरी तरह हो जाता है, इस वजह से उसे गर्भ में हिलने-जुलने की जगह नहीं मिल पाती।
. नौवें महीने में योनि स्राव के साथ हल्का रक्त आ सकता है। यह प्रसव के कुछ दिन या कुछ सप्ताह पहले हो सकता है। अगर ऐसा ज्यादा हो रहा है तो डाक्टर से संपर्क करें।
. जैसे जैसे समय नजदीक आएगा गर्भवती का श्रोणि भाग खुलने लगता है। पीठ में तेज दर्द हो सकता है। गर्भवती के लिए झुकना बिल्कुल मुश्किल हो जाएगा।
नौवें महीने में गर्भावस्था की देखभाल।
गर्भवती क्या खाती है, क्या पीती है और उसका लाइफस्टाइल कैसा है, इसका सीधा प्रभाव होने वाले शिशु पर पड़ता है। इसलिए, गर्भवती को एक खास देखभाल की जरूरत होती है
गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या खाएं?
फाइबर युक्त खाना : हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, ओट्स व दालें खाएं।
आयरन युक्त भोजनः पालक, सेब, ब्रोकली व खजूर खाएं। अगर आप मांसाहारी हैं तो चिकन खा सकती हैं।
कैल्शियम युक्त भोजन: गर्भावस्था में कैल्शियम युक्त भोजन खाना जरूरी है। इसके लिए आप डेयरी उत्पाद व दही आदि का सेवन कर सकती हैं।
विटामिन-सी युक्त भोजन: शरीर में आयरन को अवशोषित करने के लिए विटामिन-सी से भरपूर खाना जरूरी है। नींबू, संतरा, स्ट्रॉबेरी व टमाटर खाएं।
फोलेट युक्त आहार : गर्भावस्था के दौरान फोलेट युक्त चीजें खाना जरूरी हैं। इसके लिए गर्भवती को हरी पत्तेदार सब्जियों व बीन्स का सेवन करना चाहिए।
गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या न खाएं?
कैफीन युक्त चीजें जैसे कॉफी, चाय व ज्यादा चॉकलेट खाने से परहेज करें। चाय-कॉफी का सेवन ज्यादा ना करें।
एल्कोहल और मादक चीजों का सेवन बिल्कुल ना करें।
जंक फूड, बाहर का खाना, कच्चा मांस, अंडे व मछली ना खाएं। इनसे भ्रूण के विकास में बाधा पहुंचती है।
नौवें महीने के लिए व्यायाम
सुबह-शाम की सैर और सांस संबंधी व्यायाम जैसे अनुलोम-विलोम करें। योग करें लेकिन एक्सपर्ट की निगरानी में। आप किगल व्यायाम और एरोबिक्स कर सकती हैं।
गर्भवती अपने ब्लड प्रैशर की जांच करवाती रहे।
शुगर और प्रोटीन के स्तर के लिए यूरिन टेस्ट करवाएं।
गर्भावस्था के 9 महीने के दौरान सावधानियां – क्या करें और क्या नहीं?
क्या करें?
स्विमिंग पूल में जाकर कुछ देर रिलैक्स हो सकती हैं इससे तनाव से राहत मिलती है।
इस दौरान गुनगुने पानी से नहाएं लेकिन पानी ज्यादा गर्म न हो।
अपने परिवार वालों के साथ समय बिताएं।
क्या न करें?
तनाव बिलकुल न लें। नौवें महीने में जितना हो सके आराम करें और घर के कामों में खुद को ज्यादा न उलझाएं।
पेट के बल नीचे की ओर न झुकें और भारी सामान बिल्कुल न उठाएं।
ज्यादा देर तक खड़ी न रहें। इससे आपको थकान हो सकती है।
पीठ के बल न सोएं।
तुरंत डाक्टर से मिलें
पेट में तेज दर्द होने पर।
पानी की थैली फटना।
योनि से भारी रक्त स्राव होने पर।
हाथ-पैरों में सूजन आने पर।
धुंधला दिखाई देने पर।
ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टरी जांच करवाएं क्योंकि यह समय आपके प्रसव का हो सकता है।