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मैगी में फिर मिला सीसा, खाने के शौकीन हो जाएं सावधान

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 04 Jan, 2019 02:11 PM
मैगी में फिर मिला सीसा, खाने के शौकीन हो जाएं सावधान

मैगी-नूडल्स सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी चाव से खाते हैं साथ ही इसे मिनटों में आसानी से बना भी लिया जाता है लेकिन यह टेस्ट मैगी खाकर आप अपनी और बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं क्योंकि यह आपकी सेहत को धीरे-धीरे बिगाड़ रही है। ऐसा हम नहीं बल्कि खुद इसे बनाने वाली कंपनी का कहना है। 

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जानिए पूरा मामला

हाल ही में बेवरेज कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने खुद सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि उसके सबसे लोकप्रिय एफएमसीजी उत्पाद मैगी (Maggi) में लेड की मात्रा थी। कंपनी के वकीलों ने इस बात को सुनवाई के समय स्वीकार किया।

 

सुप्रीम कोर्ट के जज ने नेस्ले के वकील से कहा उन्हें लेड की मौजूदगी वाला नूडल क्यों खाना चाहिए? उन्होंने पहले तर्क दिया था कि मैगी में लेड की मात्रा परमीसिबल सीमा के अंदर थी, जबकि अब स्वीकार कर रहे हैं कि मैगी में लेड था।

 

मैगी में होनी चाहिए कितनी लेड (सीसा)?

मैगी में लेड की मात्रा  0.01 से 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए जबकि 2015 में मैगी में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई। उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मैगी के सैंपल लिए और इसकी जांच कराई तो मैगी में लेड की मात्रा तय सीमा से कही ज्यादा मिली।

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इसके बाद देश के कई राज्यों में मैगी की ब्रिकी पर रोक लगाई गई। इसी के साथ उस समय एफएसएसएआई ने कहा था कि नेस्‍ले ने अपने उत्‍पाद पर मंजूरी लिए बिना और जोखिम-सुरक्षा आंकलन को मैगी ओट्स मसाला नूडल्‍स मार्केट में उतार दिया था जो कि कानूनी रूप से पूरी तरह अवैध है।

 

ज्यादा लैड के आपकी सेहत को होने वाले नुकसान

फूड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक, अगर प्रोडक्ट में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) का इस्तेमाल किया गया है तो पैकेट पर इसका जिक्र करना अनिवार्य है।

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एमएसजी से मुंह, सिर या गर्दन में जलन
स्किन एलर्जी
हाथ-पैर में कमजोरी
सिरदर्द
पेट संबंधी दिक्कतें
किडनी फेल
बच्चे के विकास में रुकावट
नर्व डेमेज होना
अपच की समस्या 

 

डाक्टरों का कहना है कि लेड की मात्रा ज्यादा लेने से व्यक्ति को न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें, ब्लड सर्कुलेशन में समस्याव किडनी फेल की नौबत आ सकती है।

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गौरतलब है कि स्वास्थ्य सुरक्षा के मानदंडों को पूरा न कर पाने पर पिछले साल 550 टन मैगी को नष्ट कर दिया गया था। इसके अलावा, सरकार ने मुआवजे के तौर पर 640 करोड़ रुपए की भी मांग की थी।

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