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21 सितंबर है पितृ पक्ष का आखिरी दिन, पितरों को खुश करने के लिए करें ये उपाय

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 17 Sep, 2025 05:15 PM
21 सितंबर है पितृ पक्ष का आखिरी दिन, पितरों को खुश करने के लिए करें ये उपाय

 नारी डेस्क: पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, जो इस साल 8 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान पितरों को तर्पण देने की परंपरा है, जिससे वे तृप्त होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और उनके आशीर्वाद से परिवार को सुख, समृद्धि और उन्नति मिलती है। अगर हम यह तर्पण नहीं करते, तो हमें पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है, जिससे जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।

आइए जानते हैं कि पितरों के लिए तर्पण कैसे करें, इसका महत्व क्या है और तर्पण का सही तरीका क्या है।

पितरों के लिए तर्पण की विधि

पितृ पक्ष के दौरान तर्पण देने की विधि थोड़ी खास होती है। इसे सही तरीके से करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। तर्पण की सामग्री: पितृ पक्ष शुरू होने से पहले तर्पण के लिए कुछ चीजों की व्यवस्था कर लें

अक्षत (चढ़ाने के लिए चि़ड़ा चावल)

काले तिल

सफेद फूल

जौ

कुश (घास की पत्तियां)

तर्पण का समय

पितृ पक्ष में तर्पण सूर्योदय के बाद करना चाहिए। स्नान करने के बाद, कुशा के पोरों से जल लेकर तर्पण करना शुभ माना जाता है। आप तिथि के अनुसार प्रत्येक दिन तर्पण कर सकते हैं।

तर्पण की विधि

 सबसे पहले, पूर्व दिशा में मुंह करके दाहिने हाथ में कुशा की पवित्री (घास की पत्तियां) पकड़ें और जल और अक्षत से देवताओं के लिए तर्पण करें।  फिर, ऋषियों के लिए जल और जौ से तर्पण करें। अब उत्तर दिशा में मुंह करके जल और जौ से मानव तर्पण करें। अंत में, दक्षिण दिशा में मुंह करके बैठें और काले तिल, जल और सफेद फूल से पितरों के लिए तर्पण करें। मंत्र: तर्पण करते समय इस मंत्र का जाप करें

"ओम पितृ देवतायै नमः"

तर्पण का महत्व

तर्पण के दौरान पितरों को जल अर्पित करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि पितृ लोक में पानी की कमी होती है, जिससे पितरों को जल की आवश्यकता होती है। जब हम पितरों को जल से तर्पण देते हैं, तो वे तृप्त होते हैं और खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पितरों के आशीर्वाद से घर में शांति, समृद्धि और सुख मिलता है।

तर्पण करते समय कुशा की पवित्री पहनना बहुत जरूरी है, क्योंकि कुशा के बिना तर्पण नहीं माना जाता। अगर कुशा का इस्तेमाल नहीं किया जाए, तो जल पितरों तक नहीं पहुंचता और वे अतृप्त रह जाते हैं।

पितृ पक्ष में तर्पण का एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसे सही तरीके से करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि परिवार में सुख, समृद्धि और शांति का वास भी होता है। अगर हम सही विधि से तर्पण करते हैं, तो पितरों का आशीर्वाद हमें जीवन में सफलता और शांति दिलाता है।   

 

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