एक्ट्रेस जेनेलिया ने मां बनने के बाद बच्चों की परविश के लिए अपने करियर पर रोक लगा दी। वे सारा समय बच्चों के साथ बीता कर उनकी देखरेख करती है। साथ ही उनकी खुशी व जरूरत का अच्छे से ध्यान रख कर उनके साथ हंसी-खुशी समय बीताती है। उनका मानना है कि, 'प्रेग्रेंसी चाहे पहली हो या दूसरी बनना एक खूबसूरत अहसास माना जाता है। ऐसे में करीना कपूर भले ही दूसरी बार मां बनने वाली है। मगर इसमें जरूरी है कि बच्चे की देखरेख और परविश सही से हो पाएं।' ऐसे में आज हम आपको जेनेलिया के कुछ पेरेंटिंग टिप्स बताते हैं...
एक इंटरव्यू के दौरान एक्ट्रेस जेनेलिया बच्चों को संभालने व उनकी बेहतर परवरिश के लिए कुछ खास टिप्स दिए। ये टिप्स करीना कपूर और अनुष्का शर्मा, बबीता फोगाट की तरह नई व हर मां के काम आ सकते हैं।
एंग्जायटी से डरे नहीं बल्कि डील करें
जेनेलिया का कहना है कि मां बनने के पहले और बाद में जिंदगी एक तरह से बदल जाती है। ऐसे में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भले ही पेरेंटिंग के लिए सबके अलग-अलग तरीके होते हैं। मगर फिर भी हर परिस्थिति में सोच-समझ कर चलने की जरूरत होती है। ऐसे में एंग्जायटी होना एक आम बात है। इसके कारण कई बार खुद पर भी गुस्सा आने लगता है। मगर एक्ट्रेस के अनुसार, 'हर सिचुएशन में घबराने या गुस्सा होने की जगह शांत रहे। इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान न दें कि आप क्या कर रहे है और क्या नहीं। साथ ही अपने मुताबिक ही बच्चे को संभालने की कोशिश करें।
दिखने में मुश्किल पर होता है आसान
मां बनने से पहले हर महिला को पेरेंटिंग बहुत ही मुश्किल भरा काम लगता है। खासतौर पर नई बनी मांओं को तो नवजात संभालना किसी चुनौती से कम नहीं लगता है। मगर असल में, ऐसा नहीं होता है। बात जेनेलिया की करें तो उनका कहना है कि, 'पेरेंटिंग भले ही चुनौती से भरी लगे पर असल में यह आसान होती है। मगर ये पूरी तरह से पेरेंट्स पर निर्भर करता है कि वे इसे किसी तरह करते हैं। अगर वे सिंपल तरीके से इसे अपनाते हैं तो उन्हें बच्चे की देखरेख करना सिंपल लगता है।
मल्टी टास्क करने से घबराए नहीं
हर मां मल्टी टास्क करने वाली होती है। ऐसे में वे बच्चों के लिए टीचर, ट्रेनर, मैनेजर, दोस्त आदि की भूमिका निभाती है। असल में, दुनिया में कोई ऐसा प्रोफेशन नहीं जिसमें एक मां की तरह हर कदम में टास्क हो। ऐसे में जेनेलिया का कहना है कि, 'हर मां के अंदर मल्टी टास्कर होता है। साथ ही यह एक मजेदार बात है कि वे अपनी सभी टास्क को एक्सपर्ट्स की तरह पूरा करने में विश्वास रखती है। यहीं पेरेंटिंग की एक खूबी है।'
बच्चों के साथ बड़े नहीं, बच्चे बन कर रहिए
असल में, पेरेंटिंग एक खूबसूरत अहसास होने के साथ खुद को दोबारा बचपन में ले जाने का मौका देता है। ऐसे में बच्चे के साथ सख्ती करने की जगह बच्चा बनकर रहिए। इससे वे आपसे घुलने-मिलने के साथ चीजों को जल्दी समझेंगे। जेनेलिया के मुताबिक,'जब मेरे बेटे ने बोलना शुरू किया था तब मैं भी उसी तरह हो गई थी। ऐसे में मैंने खुद हर चीज उसके साथ दोबारा यानी नए सिरे से सीखी। बच्चों के साथ बच्चे की तरह रहने में एक बार दोबारा खुद में मासूमियत को जन्म देने के बराबर लगता है।’
हर दिन मिलती है नई सीख
बच्चे को संभालना एक मजेदार काम है। इसमें पेरेंट्स को हर दिन ही कुछ नया सीखने को मिलता है। असल में, कई बार बच्चे कुछ ऐसा कह जाते हैं, जो कभी आपने सुना ना हो। ऐसे में आपके उसे जानने व समझने की रूचि बढ़ती है। जेनेलिया का कहना हैं कि, ‘मैंने अपने बेटों के साथ यह समय बीता कर काफी कुछ सीखा है। इस समय को समझने व महसूस करने का अलग होता है। मैं जब भी बच्चों को कुछ नया व अलग करता देखती हूं तो मैं खुद भी वे चीजें बेहतर ढंग से करना सीखती है। ऐसे में यह सब किसी रोमांच से कम नहीं लगता है।