23 APRTUESDAY2024 7:44:02 AM
Nari

पेरैंटिंग टिप्स: थोंपें नहीं, समझें बच्चों की इच्छाएं

  • Edited By Shiwani Singh,
  • Updated: 15 Feb, 2022 05:28 PM
पेरैंटिंग टिप्स: थोंपें नहीं, समझें बच्चों की इच्छाएं

कई बार यह देखने को मिलता है कि पेरैंट्स अपनी पसंद, नापसंद बच्चों पर थोंपने लगते हैं। वे चाहते हैं कि बच्चे उनकी ही पसंद के कपड़े पहनें या फिर उनकी पसंद के सब्जैक्ट लें या करियर चुनें। अपनी इच्छाओं को मनवाने में पेरैंट्स इस कदर बच्चों पर हावी हो जाते हैं कि वह इस ओर ध्यान ही नहीं देते कि उनका बच्चा क्या चाहता है।

कुछ बच्चों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन कुछ बच्चे ज्यादा सैंसेटिव होते हैं। अपनी इच्छाओं के विपरित चीजें करने से उन पर गलत प्रभाव पड़ने लगता है।  वे या तो चिड़चिड़े हो जाते हैं या फिर चुप रहने लगते हैं। कभी-कभी वे विद्रोही और हिंसक रूप भी ले लेते हैं। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चों को समझें न कि अपनी पसंद थोंपें—

किसी तरह का प्रैशर न बनाएं

PunjabKesari

माता-पिता को लगता है कि वे अपने बच्चे के करियर के लिए जो सोच रहे हैं वही उनके लिए बैस्ट है। पेरैंट्स यह जाने बिना कि बच्चा क्या चाहता है उसकी रुचि किस तरफ है। अपनी पसंद का करियर चूज करने के लिए उस पर प्रैशर बनाने लगते हैं, जो कि गलत है। आप भले ही बच्चे को सफल होता देखना चाहते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं आपके द्वारा बताए करियर को चुनकर ही वह सफल होगा। बच्चे की रुची किसी और चीज में भी हो सकती है। उसे अपनी रुचि के मुताबिक करियर चुनने दें।

निर्देशित करें निर्देश न दें

माता-पिता बच्चों के पथप्रदर्शक होते हैं। वह बचपन से ही बच्चों को सही और गलत की सीख देते हैं। उन्हें बताते हैं कि उन्हें कच्चे रास्तों पर किस तरह चलना है लेकिन चलने का काम बच्चे खुद करते हैं। ठीक इसी तरह करियर और जीवन के मामले में भी माता-पिता को बच्चों को निर्देशित करना चाहिए न कि उन्हें अपनी पसंद की चीजें करने के निर्देश देने चाहिएं।

PunjabKesari


बच्चों से करें उनकी पसंद नापसंद पर बातें

PunjabKesari

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता के पास बच्चों के लिए उतना समय नहीं होता कि वे उनके साथ समय बिताएं। जरूरी है कि माता-पिता समय निकालकर बच्चों से उनकी पसंद और नपसंद पर बात करें। वह समझने की कोशिश करें कि उनका बच्चा क्या बनना चाहता है? उसके सपने क्या हैं?

निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ें

PunjabKesari

बच्चे कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं पेरैंट्स उन्हें बच्चे और नासमझ ही मानते हैं। उन्हें हमेशा लगता है कि वह अपने निर्णय खुद नहीं ले सकते हैं। अपनी इस सोच को बदलें। बचपन से ही छोटी-छोटी चीजों के निर्णय बच्चों को खुद लेने की आदत डालें।

Related News