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14 दिन के मासूम से बिछड़ रही मां, देखने वालों के भी छलक रहे आंसू, Sara Khan की आपबीती

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 30 Apr, 2025 07:29 PM
14 दिन के मासूम से बिछड़ रही मां, देखने वालों के भी छलक रहे आंसू, Sara Khan की आपबीती

नारी डेस्क: हर इंसान का सपना होता है कि वो शांति से अपने परिवार के साथ ज़िंदगी बिताए, बच्चों को अच्छी परवरिश दे और सुरक्षित माहौल में जी सके। लेकिन जब किसी और की गलती की सज़ा निर्दोषों को मिले, तो दिल टूट जाता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। 26 मासूम लोग मारे गए, और गुस्से में भारत सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दे दिया। इस फैसले का सबसे ज़्यादा असर उन पाकिस्तानी नागरिकों पर पड़ा, जो कई सालों से भारत में रह रहे थे, कुछ ने यहीं परिवार बसाया, यहीं बच्चों को जन्म दिया और यहीं जिंदगी बिता दी। अब जब उन्हें अचानक वापसी का फरमान मिला, तो उनके आंसू और सवाल दोनों झलक पड़े, "हम क्यों भुगतें किसी और की गलती की सज़ा?"

887 पाकिस्तानी नागरिक लौटे अपने देश

अधिकारियों के अनुसार, पिछले छह दिनों में कुल 887 पाकिस्तानी नागरिक अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए वापस पाकिस्तान लौट चुके हैं। हालांकि, जाते समय कई लोगों की आंखों में आंसू थे और उनका दर्द छलक पड़ा। ‘हम क्यों भुगतें आतंकियों की सज़ा?’ - पाकिस्तान नागरिकों की भावनात्मक अपील। भारत छोड़ते समय कई पाकिस्तानी नागरिकों ने मीडिया से बात करते हुए पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की, लेकिन साथ ही इस फैसले पर निराशा भी जताई।

सारा खान – ‘बच्चे को जन्म दिए 14 दिन हुए हैं’

पाकिस्तानी नागरिक सारा खान, जो दो बच्चों की मां हैं और जिनका नवजात शिशु अभी केवल 14 दिन का है, अटारी-वाघा बॉर्डर पर बेहद भावुक दिखीं। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि उन्हें और उनके परिवार को भारत से न निकाला जाए। उन्होंने कहा, "कृपया हमारी डिपोर्टेशन रद्द कर दीजिए। मैंने अभी 14 दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया है। हम निर्दोष हैं, हमें क्यों निकाला जा रहा है?"

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41 साल से भारत में रह रहीं महिला की पुकार

कराची से आई एक महिला ने बताया कि वह पिछले 41 वर्षों से भारत में रह रही हैं, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उन्हें अचानक क्यों निकाला जा रहा है। कहती है, "कश्मीर में आतंकी हमला हुआ, लेकिन हमें क्यों सज़ा दी जा रही है? हमने तो कभी उनका साथ नहीं दिया। आतंकियों के पैर तोड़ देने चाहिए, उन्हें फांसी देनी चाहिए। लेकिन हमारे साथ जो हो रहा है, वह सही नहीं है।"

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भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव का असर निर्दोष नागरिकों पर साफ दिखाई दे रहा है। जहां एक तरफ आतंकियों की निंदा की जा रही है, वहीं दूसरी ओर वर्षों से भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिक खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।

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